Book Title: Trini Chedsutrani
Author(s): Madhukarmuni, Kanhaiyalal Maharaj, Trilokmuni, Devendramuni, Ratanmuni
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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दूसरा उद्देशक] सूत्र २५-२८
[१७५ शय्यादाता के पूज्य पुरुषों को सर्वथा समर्पित किए गए आहार में से ग्रहण करना कल्पता है, किन्तु 'प्रातिहारिक' दिया गया हो तो उसमें से लेना नहीं कल्पता है तथा वह आहार शय्यादाता के या उसके पारिवारिक सदस्यों के हाथ से लेना नहीं कल्पता है। साधु-सध्वियां पांच जाति के वस्त्र एवं पांच जाति के रजोहरण में से किसी भी जाति का वस्त्र या रजोहरण ग्रहण कर सकते हैं।
२९-३०
उपसंहार
सूत्र १-१०
११-१२
इस उद्देशक मेंधान्य, सुरा, जल, अग्नि, दीपक एवं खाद्य पदार्थ युक्त मकान के कल्प्याकल्प्य का, असुरक्षित स्थानों के कल्प्याकल्प्य का, एक शय्या स्वामी की आज्ञा लेने का, शय्यातर के स्वामित्व वाले आहार के कल्प्याकल्प्य का, कल्पनीय वस्त्र एवं रजोहरण की जातियाँ इत्यादि विषयों का वर्णन किया गया है।
१४-२८
२९-३०
॥ द्वितीय उद्देशक समाप्त ॥