Book Title: Trini Chedsutrani
Author(s): Madhukarmuni, Kanhaiyalal Maharaj, Trilokmuni, Devendramuni, Ratanmuni
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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[व्यवहारसूत्र १४. निग्गंथस्स णं बहिया वियारभूमिं वा, विहारभूमिं वा निक्खन्तस्स अण्णयरे अहालहुसए उवगरणजाए परिब्भढे सिया।
तंच केइ साहम्मिए पासेज्जा, कप्पइ से सागारकडं गहाय जत्थेव अण्णमण्णं पासेन्जा तत्थेव एवं वएज्जा
प०-'इमे भे अज्जो! किं परिण्णाए?' उ०-से य वएज्जा-'परिण्णाए' तस्सेव पडिणिज्जाएयव्वे सिया।
से य वएज्जा-'नो परिण्णाए' तं नो अप्पणा परिभुंजेज्जा, नो अण्णमण्णस्स दावए, एगंते बहुफासुए थण्डिले परिठेवेयव्वे सिया।
१५. निग्गंथस्सणंगामाणुगामंदूइज्जमाणस्स अण्णयरे उवगरणजाए परिब्भट्ठे सिया।
तंच केई साहम्मिए पासेज्जा, कप्पइ से सागारकडं गहाय दूरमवि अद्धाण परिवहित्तए, जत्थेव अण्णमण्णं पासेज्जा तत्थेव एवं वएज्जा
प०-'इमे भे अज्जो! किं परिणाए?'
उ०-सेय वएज्जा'नो परिण्णाए' तं नो अप्पणा परिभुजेज्जा, नो अण्णमण्णस्स दावए, एगंते बहुफासुए थण्डिले परिट्ठवेयव्वे सिया।
१३. निर्ग्रन्थ गृहस्थ के घर में आहार के लिए प्रवेश करे और कहीं पर उसका कोई लघु उपकरण गिर जाए, उस उपकरण को यदि कोई साधर्मिक श्रमण देखे तो 'जिसका यह उपकरण है उसे दे दूंगा' इस भावना से लेकर जाए और जहां किसी श्रमण को देखे, वहां इस प्रकार कहे
प्र०-'हे आर्य! इस उपकरण को पहचानते हो?' (अर्थात् यह आपका है ?) उ०-वह कहे-'हां पहचानता हूँ' (अर्थात् हां यह मेरा है) तो उस उपकरण को उसे दे दे।
यदि वह कहे-'मैं नहीं पहचानता हूँ।' तो उस उपकरण का न स्वयं उपयोग करे और न अन्य किसी को दे किन्तु एकांत प्रासुक (निर्जीव) भूमि पर उसे परठ दे।
१४. स्वाध्यायभूमि में या उच्चार-प्रस्रवण-भूमि में जाते-आते हुए निर्ग्रन्थ का कोई लघु उपकरण गिर जाए, उस उपकरण को यदि कोई साधर्मिक श्रमण देखे तो-'जिसका यह उपकरण है, उसे दे दूंगा' इस भावना से लेकर जाए और जहां किसी श्रमण को देखे, वहां इस प्रकार कहे
प्र०–'हे आर्य! इस उपकरण को पहचानते हो?' उ०-वह कहे-'हां पहचानता हूँ'-तो उस उपकरण को उसे दे दे।
यदि वह कहे-'मैं नहीं पहचानता हूँ'-तो उस उपकरण का न स्वयं उपयोग करे और न अन्य किसी को दे किन्तु एकान्त प्रासुक भूमि पर उसे परठ दै।