Book Title: Trini Chedsutrani
Author(s): Madhukarmuni, Kanhaiyalal Maharaj, Trilokmuni, Devendramuni, Ratanmuni
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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२१८]
[बृहत्कल्पसूत्र उन्हें कारण बताये विना अन्य आचार्य या उपाध्याय को वाचना देने के लिये जाना नहीं कल्पता है।
किन्तु उन्हें कारण बताकर ही अन्य आचार्य या उपाध्याय को वाचना देने के लिये जाना कल्पता है।
२७. गणावच्छेदक यदि अन्यगण के आचार्य या उपाध्याय को वाचना देने के लिये (या उनका नेतृत्व करने के लिये) जाना चाहे तो
___ उसे अपना पद छोड़े विना अन्य आचार्य या उपाध्याय को वाचना देने के लिये जाना नहीं कल्पता है।
___ किन्तु अपना पद छोड़कर अन्य आचार्य या उपाध्याय को वाचना देने के लिये जाना कल्पता है।
___ अपने आचार्य यावत् गणावच्छेदक को पूछे विना अन्य आचार्य या उपाध्याय को वाचना देने के लिये जाना नहीं कल्पता है।
किन्तु अपने आचार्य यावत् गणावच्छेदक को पूछ कर अन्य आचार्य या उपाध्याय को वाचना देने के लिये जाना कल्पता है।
यदि वे आज्ञा दें तो अन्य आचार्य या उपाध्याय को वाचना देने के लिये जाना कल्पता है।
यदि वे आज्ञा न दें तो अन्य आचार्य या उपाध्याय को वाचना देने के लिये जाना नहीं कल्पता है।
उन्हें कारण बताए विना अन्य आचार्य या उपाध्याय को वाचना देने के लिये जाना नहीं कल्पता है।
किन्तु उन्हें कारण बताकर ही अन्य आचार्य या उपाध्याय को वाचना देने के लिये जाना कल्पता है।
- २८. आचार्य या उपाध्याय अन्य आचार्य या उपाध्याय को वाचना देने के लिये (या उनका नेतृत्व करने के लिये) जाना चाहें तो
__उन्हें अपना पद छोड़े विना अन्य आचार्य या उपाध्याय को वाचना देने के लिये जाना नहीं कल्पता है।
__ किन्तु अपना पद छोड़कर अन्य आचार्य या उपाध्याय को वाचना देने के लिये जाना कल्पता है।
उन्हें अपने आचार्य यावत् गणावच्छेदक को पूछे विना अन्य आचार्य या उपाध्याय को वाचना देने के लिये जाना नहीं कल्पता है।
किन्तु आचार्य यावत् गणावच्छेदक को पूछकर अन्य आचार्य या उपाध्याय को वाचना देने के लिये जाना कल्पता है।