Book Title: Trini Chedsutrani
Author(s): Madhukarmuni, Kanhaiyalal Maharaj, Trilokmuni, Devendramuni, Ratanmuni
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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प्रथम उद्देशक]
९. जो भिक्षु अनेक बार चातुर्मासिक परिहारस्थान की प्रतिसेवना करके आलोचना करे तो उसे मायारहित आलोचना करने पर चातुर्मासिक प्रायश्चित्त आता है और मायासहित आलोचना करने पर पंचमासिक प्रायश्चित्त आता है।
१०. जो भिक्षु अनेक बार पंचमासिक परिहारस्थान की प्रतिसेवना करके आलोचना करे तो उसे मायारहित आलोचना करने पर पंचमासिक प्रायश्चित्त आता है और मायासहित आलोचना करने पर षाण्मासिक प्रायश्चित्त आता है।
इसके उपरान्त मायासहित या मायारहित आलोचना करने पर भी वही पाण्मासिक प्रायश्चित्त आता है।
११. जो भिक्षु मासिक यावत् पंचमासिक परिहारस्थानों में से किसी परिहारस्थान की एक बार प्रतिसेवना करके आलोचना करे तो उसे मायारहित आलोचना करने पर आसेवित परिहारस्थान के अनुसार मासिक यावत् पंचमासिक प्रायश्चित्त आता है और मायासहित आलोचना करने पर आसेवित परिहारस्थान के अनुसार द्विमासिक यावत् षाण्मासिक प्रायश्चित्त आता है।
इसके उपरान्त मायासहित या मायारहित आलोचना करने पर वही पाण्मासिक प्रायश्चित्त आता है।
___ १२. जो भिक्षु मासिक यावत् पंचमासिक इन परिहारस्थानों में से किसी एक परिहारस्थान की अनेक बार प्रतिसेवना करके आलोचना करे तो उसे मायारहित आलोचना करने पर आसेवित परिहारस्थान के अनुसार मासिक यावत् पंचमासिक प्रायश्चित्त आता है और मायासहित आलोचना करने पर आसेवित परिहारस्थान के अनुसार द्विमासिक यावत् पाण्मासिक प्रायश्चित्त आता है।
इसके उपरान्त मायासहित या मायारहित आलोचना करने पर वही पाण्मासिक प्रायश्चित्त आता है।
१३. जो भिक्षु चातुर्मासिक या कुछ अधिक चातुर्मासिक, पंचमासिक या कुछ अधिक पंचमासिक इन परिहारस्थानों में से किसी एक परिहारस्थान की एक बार प्रतिसेवना करके आलोचना करे तो उसे मायारहित आलोचना करने पर आसेवित परिहारस्थान के अनुसार चातुर्मासिक या कुछ अधिक चातुर्मासिक, पंचमासिक या कुछ अधिक पंचमासिक प्रायश्चित्त आता है और मायासहित आलोचना करने पर आसेवित परिहारस्थान के अनुसार पंचमासिक या कुछ अधिक पंचमासिक या षाण्मासिक प्रायश्चित्त आता है।
इसके उपरान्त मायासहित या मायारहित आलोचना करने पर भी वही पाण्मासिक प्रायश्चित्त आता है।
१४. जो भिक्षु अनेक बार चातुर्मासिक या अनेक बार कुछ अधिक चातुर्मासिक, अनेक बार पंचमासिक या अनेक बार कुछ अधिक पंचमासिक इन परिहारस्थानों में से किसी एक परिहारस्थान की प्रतिसेवना करके आलोचना करे तो उसे मायारहित आलोचना करने पर आसेवित परिहारस्थान के