Book Title: Tattvartha raj Varttikalankara
Author(s): Gajadharlal Jain, Makkhanlal Shastri
Publisher: Bharatiya Jain Siddhant Prakashini Sanstha

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Page 15
________________ सूत्र द्विद्विविष्कंभाः पूर्वपूर्वपरिक्षेपिणो चलयाकृनयः डींद्रियादयाः द्विविधानि यो योः पूर्वाः पूर्वगा द्विर्धातकी खंडे ध धर्मास्तिकायाभावात् धर्माधर्मयोः कृत्स्ने न चक्षुरनिंद्रियाभ्या न जघन्यगुणानां न देवाः न नामस्थापनाद्रव्यभवितस्तन्न्यासः पृष्ठसंख्या नामगोत्रयोर नारकतेयेग्योनमानुपधानि नारकसंमूर्छिनो नपुंसकानि नारका नित्याशुभतरलेश्यापरि णामदेहवेदनाविक्रिया: पू. ८३६ नारकाणा च द्वितीयादिषु पू ६४५ निश्शल्यो व्रती पू ६५१ निदानं च पू १०० नित्यावस्थितान्यरूपाणि निरुपभोगमंत्यं पू ६२६ उ १२२२ उ १४५ नवचतुर्दशपंचद्विभेदं यथाक्रमं प्राग्ध्यानात् नाणोः नामप्रत्ययाः सर्वतोयोग विशेषात्सूक्ष्मैकक्षे त्रावगाहस्थिताः सर्वात्मप्रदेशेष्वनंतानतप्रदेशाः पू ३२६ पू ४०८ पू ७६० १०८५ उ १२७ उ ६०६ पू ११६ सूत्र उ ८६५ उ ८५८ पू ७५८ विधानतः निर्वर्तना निक्षेपसंयोग निसर्गाद्विद्वित्रिभेदाः परं निर्वृत्युपकरणे द्रव्येंद्रियं निर्देशस्वामित्वसाधनाधिकरण स्थिति निश्शीलत्र तित्वं च सर्वेपा निष्क्रियाणि व नृस्थिती परावरे त्रिपल्योपममातर्मुहूर्ते नैगमसंग्रहव्यवहारऋजुसूत्रशब्दसमभिरुवभूतानयाः सूत्र पृष्ठसंख्या पू ८०० पू ११३६ परस्परोपग्रहो जीवानां परस्परोदीरितदुःखाः उ ६८८ परा पल्योपममधिकं उ ११३० परात्मनिदाप्रशंसे सदसद्गुण च्छादनोद्भावने च नीचैर्गोत्रस्य परं परं सूक्ष्मं परेऽप्रवीचाराः उ १८९ परे मोक्षहेतू परे केवलिनः प पद्ममहापातिगछकेस रिमहा पुंडरीकपुंडरीकहदास्तेषामुपरि उ ७० पू ७३८ पीतपद्मशुक्ललेश्या द्वित्रिशेषेषु उ ५१२ पू ६५१ पुलाकत्रकुशकुशील निर्मथस्नातका- 1 उ ५६० निग्रंथाः उ ८४ | पुष्करार्धे च पूर्वप्रयोगादसंगत्वादुबं धच्छेदात्तथागतिपरिणामाच्च पू ९६४ * पूर्वयोर्डी द्राः यू ४५० पृथक्त्वैकत्ववितर्क सूक्ष्म क्रियाप्रतिपातिव्युपरत क्रिया निवर्तीनि पृथिव्यप्तेजोवायुबनस्पतयः पू ८८६ पर विवाहकरणेत्वरिकापरिगृहीतापरिगृहीतागमनानगक्रीडाकाम तीव्राभिनिवेशा: उ ७५० परतः परतः पूर्वा पूर्वानंतरा पू ११३६ | पंचेद्रियाणि स्थावराः पंचनवद्वयष्टाविंशतिचतुर्द्वि चत्वारिशद द्विपंचभेदा यथाक्रमं पृष्ठसंख्या उ २८६ पू८०६ पू ११४२ उ ६१३ पू ०२६ पू १०१३ उ ११२६ १९४८ पू १०६६ ११६० उ ६३५ उ १२१६ पू १००३ उ ११४६ पू ६४२ उ ८३५ पू६४८

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