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अज्झीणं दिज्जंतं, अव्वोच्छित्तिनयतोअलोगोव्य ।आओ नाणाईणं, झवणा पावाण खवणंति (कम्माणं)
भावार्थ उपर मुजब छे. नाम निष्पन्न निक्षपामां तो आ अध्ययननुं एक स्थानक एवं नाम छ ते माटे एक शब्द अने स्थान | शब्दनो निक्षेप कहेवा योग्य छे. तेमां एक शब्द नामादि सात प्रकारनो छे. तदुक्तं
२. नाम. नौम ठेवणा दंविए, माउयय संगहेकंए चेव । पजव भावे य तहा, सत्तेते एक्कगा होति ॥२३॥
तेमां १ जेनुं 'एक' एवं नाम होय ते नाम एक, २ पुस्तकादिने विषे स्थापन करेल एकेक अंक ते स्थापना एक, ३ द्रव्य एक ते +सचित, अचित्त अने मिश्र भेदरूप त्रण प्रकारे छे. ४ मातृकापद एक तो १ उप्पन्नइ वा २ विगमेइ वा ५ धुवेइ वा-ए मातानी माफक सकल शास्त्रना मूलभूत होवाथी अवस्थित त्रिपदमांथी कोइ पण एक विवक्षित पद, अथवा अकारादि अक्षरात्मक मातृकामांथी कोई पण अकारादि एक अक्षर ते मातृकापद एक, ५ संग्रह एक एटले एक शब्दना उच्चारवडे पण घणा अर्थनो संग्रह कराय छे. जेम जातिना प्राधान्यबडे व्रीहि अर्थात् ब्रीहि शब्दथी अनेक जातना चोखानो संग्रह थाय छे ते संग्रह एक, ६ पर्याय एक-घट द्रव्यना शिविकादि एक पर्यायरूप, ७ भाव एक-औदयिकादि छ भावमांधी कोई पण एक भावरूप. अहिं भाव एकवडे अधिकार छे जेथी गणना लक्षण विशिष्ट स्थान विषय आ एक छे. वली गणना ते संख्या, संख्या ___ + सचित द्रव्य ते पुरुष, अचित्त द्रव्य ते रूपीओ अने मिश्र द्रव्य ते आभूषणयुक्त पुरुष इत्यादि.
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