Book Title: Sambodhi 2018 Vol 41
Author(s): J B Shah
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 33
________________ Balram Shukla SAMBODHI 10. 13. 17. 18. 19. भूपालतुष्टौ सुरलोकवाण्यारम्भोऽध्वनाकारि मनोहरोऽयम् ॥ (Sharma and Parab 1/39-40) श्रीजोनराजविबुधः कुर्वन् राजतरङ्गिणीम्। सायकाग्निमिते वर्षे शिवसायुज्यमासदत् ॥ ६ ॥ शिष्योऽस्य जोनराजस्य सोऽहं श्रीवरपण्डितः । राजावलीग्रंथशेषापूरणकर्तुमुद्यतः ॥ ७॥ (जैनराजतरङ्गिणी) Haimasabdanusāsana-8.2.75 सूक्ष्मश्नस्हह्लक्ष्णक्षणां ग्रहः । प्रीत्यै तु गोसहस्रस्य येन धर्मपुरेण च । ज्ञात्वा पूर्वपदार्थक्यं वधाद् गावो विमोचिताः ॥ (शिवदत्त एवं परब १९०१: १/२१) Jain Rajatarangini 1.7.100-102, 2.242-243, 3.238; Ogura (2015, p. 8) The time of translation according to Srivara's information is 1451 CE, See Sharma and Parab, introduction, p1, but it is not apparently correct. Halabi (1391) p.75 Metrical scanning of this is as follows - मफाईलुन् मफाईलुन् मफाईल् या मफाईलुन् मफाईलुन् फऊलुन् श्लोके षष्ठं गुरु ज्ञेयं सर्वत्र लघु पञ्चमम् । द्विचतुष्पादयोर्हस्वं सप्तमं दीर्घमन्ययोः ॥ वृत्तरत्नाकर Sharma and Parab - क्रमेण येन भेदार्थो मलाज्यामेन वर्णितः । तेनैव हि मया सोऽयं श्लोकेनाद्य निरूप्यते ॥१-३॥ छान्दोग्योपनिषद् ३.१४.१ तत्सृष्ट्वा तदेवानुप्राविशत् (तैत्तिरीयोपनिषद् २.६.१) - The Lord created the world and immersed Himself into it. तैत्तिरीयोपनिषत्, भृगुवल्ली, षष्ठोऽनुवाकः । खलादेर्वृत्तकीर्तनम्- साहित्यदर्पण ६.३३३. ततो जगाद शनकैरुत्तिष्ठोत्तिष्ठ भारत । भाग्यं ते फलितं साधो त्यज चिन्तां सुदुस्त्यजाम् ॥ KK 10/43 ॥ अजेजमेस्रनामायं लोके सत्यतया भवेत् ॥ ४-१२१ खलेलोलाहकस्यायं मनःसागरकौस्तुभः ।। ४-५८ According to Panini's rule सभासेऽनपूर्वे कत्वो ल्यप् (७.१.३७), कत्वा changes to ल्यप् when in a compound. Pānini's rule enjoins an obligatory 14 augmentation with the the dhatus of Bhū-class when they inflict with शत् suffix - शपश्यनोनित्यम् (७.१.८१) Like the previous example 37145cal, here also frall must change into 14 as it is happening to be in a compound. According to Pānini's rule the 7 particle is augmented only when the Anga ends in 'A' and the suffix शत् follows - अच्छीनद्योर्नुम् (७.१.८१). In the present example the Anga (Stem) would be face and hence not terminating in 'A'. In accordance with the 2 Sutras of Panini and the correct form would be गोपायितुम्. According to Pānini when 'n' sound is preceded by any short vowel and simultaneously 21. 24. 26. 27. 29. 30.

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