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Vol. XLI, 2018
मुसव्विरी के मुकाम और राजस्थान
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तुर्की मुर्गी उस्ताद मंसूर की एक कृति राजस्थान में कला इतिहास के संदों में यहाँ के राजा-महाराजाओं का कला प्रेम अत्यधिक कला हितैशी रहा । समय-समय पर इन कलाकारों को राजा-महाराजा पुरस्कृत भी करते थे । पुरस्कार स्वरूप प्रायः रहने का स्थान, जागीरें भी देते थे । यहाँ कलाकारों के सम्मान, प्रश्रय और पूर्ण संरक्षण मिलता था ।१८ राजस्थान की चित्रकला को चार भागो में विभाजित किया जाता है यथा : (१) मेवाड़ (२) मारवाड़ (३) हाड़ौती (४) ढूंढाड़ । इन क्षेत्रों के विभिन्न ठिकाणों में चित्रकला फली-फूली ।
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मालवी रागिनी : रागमाला (मेवाड़ शैली) साहिबदीन द्वारा चित्रित
मेवाड़ शैली के आरम्भिक चित्रकारों में मुस्लिम नाम अधिक है। निसारदीन, साहिबदीन, अल्लाबक्श, नुरूद्दीन, बख्तावर आदि प्रमुख थे। दिल्ली से आए निसारदीन के द्वारा १६०५ ई में बनी