________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
(२२)
परि० १५
उप०-- चंकि सय फ़ वृत्त का व केन्द्र है इसलिये बस बराबर है ब य के
और चूंकि यजह वृत्त का दोन्द्र है इसलिये दह बराबर है द य के
परि० १५ और इनके हिस्से द अ और द ब बराबर हैं परि० २४ इसलिये बाकी हिस्सा अह बराबर है बाको हिस्से ब य के
स्व०३ लेकिन साबित हो चुका है कि बस बराबर है ब य के इसलिये अह और बस में से हर एक बराबर है ब य के
लेकिन जो चीजें एक ही चीज़ के बराबर हों वह सब आपसमें बराबर होती हैं
स्व०१ इसलिये अह बराबर है बस के
इसलिये अह सीधी रेखा दिये हुए बिंदु असे दी हुई बस सीधी रेखा के बराबर खिंचायी और इसी रेखा के खींचने की ज़रूरत थी टि. (१) इस साल में जब दिया हुआ बिन्दु नतो दी हुई रेखा में हो और न उस रेखा की सीध में हो तो इस साल की ग्राठ मरतें पैदा होगी यानी एक ही बिन्द से व्याउरेखा पाठ तरफ खिंच-सतो हैं
१- दी हुई रेखा के दो सिरे हैं और दिवे हुए विंदु को हर सिरे से मिलाने के लिये एक रेखा खींची जा सकती है
२- हर मिलाने वाली रेखा की हर तरफ़ समत्रिबाहु त्रिभुज बन सकता है ३- समत्रिबाहु त्रिभुज की वह भुजा जो शक में पहले बढ़ायी जाती है अपने हर सिरे की तरफ़ बार सती है
लेकिन जब दिया हुआ बिटु दी हुई रेखा में या उसकी मीध में हो तो दो सूरतें जो बिन्दु को रेखा के हर सिरे के मिलाने से पैदा होती हैं एक हो जायगौ और इसलिये शाल को सिर्फ चार सूरते रह जायगी
जब दिया हुअा विंदु दी हुई रेखा के सिर पर होतो पल बहुत आसान है बिंदु के केन्द्र मानकर उस रखा की दूरी पर वृत्त खींचो योर रेखा को वृत्त की परिधि तक बहानो बफा हुआ हिस्सा दी हुई रेखा के बराबर होगा
मुदरिस को चाहिये कि अपने लड़कों से इस पाक की सब सूरत खिचवावे
For Private and Personal Use Only