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(३१)
इस बात का जानना भी जरूर है कि किसी माध्य की सचाई उसके विलोम की सचाई को कायम नहीं करती है मुमकिन है कि असली साध्य सही हो लेकिन उनका विलोम गलत हो
टि० (३) यह माध्य यतिरेक युक्त से साबित की गयी है जब हम किसी साध्य के फल यानी नतीजे को सहौ न मान कर उसके विपरीत को सही मानते हैं यार उमसे ग्राखिर को एक ऐसा नतीजा निकलता है जो साफ भूठ है या साध्य में जो बात माज़ की गयी है उसके विरुद्ध है तो हम क. हते हैं कि साध्य के फल का विपरीत जिसको हमने सही माना था गलत है और इमलिये साध्य का फल सही है ऐसे सुबूत को व्यतिरेक युक्त कह ते हैं यतिरेक युक्त की बनिखत अन्वय युक्ति की लोग अकसर कम कदर करते हैं क्योंकि यतिरक युक्त में यह बात तो अलबत्ता जाहिर होजातीहै कि साध्य इमारी मही है लेकिन उससे यह बात कि साध्य क्यों और किस बजह से सही है नहीं मालम होसक्ती । व्यतिरेक यक्ति को उकूलेदस ने माध्यों के बिलोम के साबित करने में अक्सर काम में लाया है और अन्वय यक्ति से उसने बिलोमों के सावित करने में बहुत कम काम लिया है
टि. (8) इस माध्यकी ज़रूरत दूसरे अध्याय की चौथी साध्य तक नहीं पड़ती है अगर इसको हम कहीं दूमरी जगह पर उठा कर रखदें तो कुछ खराबी नहीं पैदा होगी मसलन अगर हम इसको छठारवीं साधा के वाद रकखें तो वह इस तरह साबित हो सकती है
फ़ज़ करो कि अब स कोन अस ब कोन के बराबर है तो अस भुज भी अब भुज के बराबर होगा और यह भुन अापस में बराबर न होतो एक उनमें से बड़ी होगी फज़ करोकि अब बडी अस से तो असब कोन वड़ा होगा अब स कोन से मा० १८) लेकिन यह ना मुमकिन है क्योंकि अ स ब और अब स कोन बमुजिब फज़ के ग्रापस में बराबर हैं इसलिये अव और अस नाबराबर नहीं हैं यानी अब बराबर है अस के __अगर इम साध्य को छब्बीसवौं साध्य के बाद लिखें तो इस तरह नाबित करेंगे
ब अस कोन को अद रेखा से जो बस आधारसे द बिन्दु पर मिलती है दो बराबर हिस्सों में बांटो इस सूरत में दो त्रिसुन अ ब द व्यऔर असद पैदा होंगे और छब्बीमवौं साधा के हुकम से अापस में सव तरह बराबर होंगे और अब भुन अस सुज के बराबर होगी
टि. (५) कठी साधा ग्राच्छादन क्रिया से भी जैसे कि पांचौं साधा (टि० सा० ५ देखो ) साबित की गयी है साबित होसक्ती है
अभ्यास (१२) अगर एक लमद्विबाहु त्रिभुज के अाधार के ऊपर के कोन अब
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