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( १८३
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(२-मा० ) और अय बराबर है द ब के इसलिये अद और बद परके बर्ग मिलकर दूने हैं अस और स द परके वर्गों के
टि० ३ ४ वीं और १० वौं साध्य का एकही सुबूत जो “मिस हल्डाहडसन ने ईजाद किया है नीचे लिखा जाता है
अब बिंदु स पर दो बरावर हिस्सों में बांटी गई है और बिंदु द पर दो नाबराबर हिस्सों में ( अन्त: खंड साध्य ! अध्याय २) या (बहिः खंड माध्य १० अध्याय २) बांटी गई है
अद और अस और सद पर अब के एकही तर फअदयफ
और अ स ज ह और सद क ल ल । वर्गबन यो
१-सा०
अ स द ब अ स ब द
ल
प +नक
-
-
-क
ह
अ य वर्ग के अन्दर फह पर फहम न वर्ग बनायो १-सा० ४६ यह बराबर है स द पर के वर्ग के
फर्ज करो कि न म और क ल ( बढ़कर अगर जरूरत हो) प बिंदु पर मिलते हैं व्यब प य बराबर है अ स पर के वर्ग के और प ज बरावर है ब द पर के वर्ग के अद और द ब पर के वर्गों का योग बराबर है अ य व्यौर प ज क्षेत्रों के यानी बरावर है अ ज और प य और सक और फ म के यानी दूना है अज और स क के योग का यानी अस और स द पर के बर्गो का दूना है टि. ४ यह जाहिर है कि नवौं साध्य का कल्पित अर्थ वही है जो पांचवौं साध्य का है और दसवीं साध्य का कल्पित अर्ध वही है जो छटी साध्य का है . दसर्वी माध्य नवौं साध्य के साथ वहौ इलाका रखती है जो छठी साध्य पांचवीं के साथ रखती है और इसलिये नीचे लिखे दो दावों में हरएक नवीं और दसवीं दोनों माध्यों का दावा हो सकता है १ दो रेखाओं पर के बर्ग मिलकर उन रेखाओं के योग और ग्रन्तर के आधों परके वर्गों के दूने होते हैं क्योंकि अगर अद और द ब जुदी २ रेखा खयाल की जावें तो स द और अस में से एक उन रेखाओं के योग की भयाधी न्यौर दूसरी उनके व्यन्तर की प्राधी है।
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