Book Title: Rekhaganit
Author(s): Atmaram Babu
Publisher: Atmaram Babu

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Page 213
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( २१८. ) 1 - .-. - नम्बर साध्य कल्पित अथ फल बर याघारों पर एकही ममागान्तर रेखा गों के दर्मियान हों ४१ पतिलो भार मनानान्तर चत- रूसानान्तर चतुर्भज और विमज मज और तिमज एक एकही समानान्तर रेखाकों के ट्. हो अाधार पर या एक सियान हो। ही सीधी रेखा के व राबर ग्राधारों पर हो गौर समानान्तर चतुर्मज त्रिभुज से टूना हो ४२ यतिलो- अगर ममानान्तर चतु- समानान्तर वितु योर त्रिभुज म२ भुज और त्रिराज एक था तो गवाही याचार पर या ही नमानान्तर रेखा बराबर व्यापारों पर होंगे यों के दर्मियान हों। और ममानान्तर चतु मुंज त्रिभुज से टूनाहो समानान्तर चतुर्भजों का बराबरी के लिये मुकाबिला करना अगर समानान्तर चतु- वह समानान्तर चतुज अापल भज एकही गाधारपर में बराबर होग और कही समानान्तर रेखायों के दर्मियानहीं ३५प्रतिलोम __ व्यगर बराबर लमाना- वह समानान्तर चतुम ज एकही | न्तर चतुर्भज एकही समानान्तर रेखाओं के दर्मियान व्याधार पर और उसके होंगे | एकही तरफ में हों। । बागर ममानान्तर चतु-वर समानान्तर मनुज व्यापन भज बराबर व्याधारों में बराबर होंगे पर और एक ही समा.. नान्तर रेखागों के दर्मि यान हो ६६ प्रतिलोम अगर बराबर समा- बह समानान्तर चतुर्भज एक ही गातर चतर्भल एक ही समानान्तर रेखायों की दर्मिनान होंगे मीको रेखा का बराबर सापास पर 't For Private and Personal Use Only

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