Book Title: Rekhaganit
Author(s): Atmaram Babu
Publisher: Atmaram Babu

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Page 216
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( २२२ ) नम्बरसा ध्य कल्पित अथ फल १ अध्याय अगर दो मीधी रेखा- दो सीधी रेखाओं का धरातल ओं में से एक कई हि-बराबर है उन धरातल के योगक मों में बटी है जो कुल दो बरी रेप और हरएक हिस्स बटी हुई से बरी है बहुभुज क्षेत्र ३२ अनु- अगर कोई ऋजुभ ज । उसके मब अंत: कोन और चार मान १ क्षेत्र है लमकोन मिलकर उतने समकोनों के बराबर होंगे जो गिनतीमें उस की सजों की तादाद से ट्रेने होंगे ३२ अनुमान अगर किमी ऋजुज सब बहिः कोन जो मुजों को ब क्षेत्र की सब मज एक पाने से बने 'गे मिलकर चार समदूसरी के बाद एक ही कोन के बराबर होंगे दिशामें बढ़ायी जायं । साध्यवस्तपपाय नम्बरसाध्य निर्दिष्ट सीधोरखा करणीय एक परिमिति मीधी। उस बिंदु से उस रेखा की बराबर रेखा और एक विंटरेखा खींचना एक सीधी रेखा और उम बिंदुसे उन मीधी रेखा को एक बिंदु समानान्तर रेखा खींचना दो छोटी बड़ी मीधी बड़ी सीधी रेखा में से छोटी सी. धी रेखा के बराबर काटना एक सीधी रेखा उस रेखा के दो बराबर हिस्से करना ११ अध्याय एक सीधी रेखा उम मीधी रेखा के नशे से दो हि. स्से करना कि धरातल कुल सीधी रेखा और एक हिस्से का बराबर हो दूसरे हिम्स परक वर्ग के सरलकोन एक सरल कोन और उस रेखा के उन बिंदु पर उस कोन एक सीधी रेखा और के बराबर कोन बनाना उसमें एक बिंदु एक सरलकोन उम्म कोग के दो बराबर हिस्से करना एक मीधी रेखा और उस बिस्ट् से एक रोमी सीधीरेखा उसमें एका बिंद रेखा For Private and Personal Use Only

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