Book Title: Rekhaganit
Author(s): Atmaram Babu
Publisher: Atmaram Babu

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Page 211
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra नम्बर साध्य तथा दमदमान १८ ५ अनुमान ३२ अनु०६ द अनुमान १६ पक्षमा हिस्ता ७० प्रतितोल १३ अध्याय प्रतिलोम www.kobatirth.org ( कल्पित अर्थ और बगरवरावर सु बहावी बार्य रविभुज नमकीन विवाह बार किसी विभुज की एक गुण दूतरी तुमसे पड़ी है चार त्रिभुज समतिबाहु है अगर त्रिभुज समहि । २०७ वाह अगर विभुण समान कोन है यगर विसुन की एक नागर विमुच फोन सुज बढ़ायी जाय यम् विभुण की एक भन बढ़ायी जाव मम उप विनष पन गुण पर का नहीं बराबर है उन वी के जोबा पर बावायें गये है अगर किसी बराज की किमी गुण पर का बना वाचा वर्ग बड़ा है बाकी दो मुख पर व बाये कुछ वर्गों के योग से अगर विभु की श सो मुज पर का बनाया हुन्या बग छोटा हैना की दो सुपर के नाये दा वर्गों के योग ; Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आधार के बी में गवर होग आधार पर काफी पाल या नमकीन है मज के सामने का कोन होदामने के कौन से बड़ा होगा वह विभग समान कोष भी है उस का एक कोन नमकीनका दो विधा sa fear भी है: ब: कोन अपने सामने हरयोगा कोन से बड़ा दोष कोन अपने सामने से दोनों अंतः कोनों के बराबर दोग वर्ग श्री समकोण की सा पर बनाया श्रायारो उनके वो बाकी प | वाये जायेंगे उस से बानने का कोन है सगुण व नाले का धिक दोन सुण के सामने का कोन या कोन है For Private and Personal Use Only 楽

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