________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
(८३) दो दिये हुए विंदुओं से जो दो दी हुई समानान्तर रेखायों में है ऐसी दो रेखा सोचो जो दी हुई समानान्तर रेखायों के साथ एक विघमनोन समचतुर्भुव बनाने (८५) अब और स द दो दी हुई रेखा है उनके दर्मियान एक ऐसी रेखा दी हुई लम्बाई की खींचो जो किसी तीसरी दी हुई यफ रेखा की खजानान्तर हो
साध्य ३२ प्रमेयोपपाय सा० सूत्र अगर किसी त्रिभुजकी एक सुज बढ़ाई जाय तो बहि कोन अपने सामने के दो अन्तः कोनों को बराबर होगा और तीनों अन्तः कोन मिलकर दो समकोन के बराबर होंगे श्र य वि० सून फ़र्ज़ करो कि अब स एका त्रिभुज / है उसकी बस भज द बिन्दु तक बढ़ाई गयी है तो असद बहिःकोन अपने सामने के अनस और व प्रस दो अंतःकोनों के बराबर होगा और त्रिभुज के अवस, वास और असब तीनों अंतःकोनमिलकर दो समकोन के बराबर होंगे अंस बिन्दु से सय रेखा व अकी समानांतर खोंचो (सा०३१)
उप. चूंकि अब समानांतर सय की है और अस उन पर गिरती है
इसलिये अस य और वनस एकान्तर कोन आपस में बराबर हैं
__सा. २८ फिर चूंकि अब समानान्तर सय की है और ब द उन पर गिरती है
इसलिये सयद बहिःकोन अपने सामने के अवस अन्तः कोन के बराबर है
सा. २८ लेकिन असय कोन व नस झोन के बराबर साबित होचुका है
For Private and Personal Use Only