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मिलकर बराबर हैं उतने समकोनों के जो गिनती में क्षेत्र की भुजों की तादाद से दूने हों उप० अगर किसी प्रव सदय ऋजुभुज क्षेत्र या के अन्दर कोई फ बिंद लिया जाय और उस बिंदु से अब सब कोनों तक सीधी रेखा खौंची जायं तो जाहिर है कि वह क्षेत्र उतने त्रिभुजों में बट जायगा जितनी उसमें भुज हैं __ चूंकि हर त्रिभुज के तीनों कोन मिलकर दो समकोन के ब. राबर हैं और यहां इतने त्रिभुज हैं जितनी ऋजुभुज क्षेत्र की भुज हैं ___ इसलिये इन त्रिभुजों के सब कोन बराबर हैं उतने समकोनों के जो गिनती में क्षेत्र की भुजों की तादाद से दूने है
लेकिन इन त्रिभुजों के सब कोन ऋजुभुज क्षेत्र के सब अंत: कोनों के और उन कोनों के जो फ बिंदु पर है बराबर है ___ और जो कोन फ बिंदु पर जो इन त्रिभुजों का उभयनिष्ट शीर्ष है बने है वह चार समकोन के बराबर हैं (अनु० ३ सा० १३)
इसलिये इन त्रिभुजों के सब कोन बराबर हैं ऋजुभुज क्षेत्र के सब अंतःकोनों और चार समकोन के
लेकिन सावित होचुका है कि इन त्रिभुजों के सब कोन उतने समकोनों के भी बराबर हैं जो गिनती में ऋजुभुज क्षेत्र की भजों की तादाद से दूने हैं
इसलिये ऋजुभज क्षेत्र के सब अंतःकोन और चार समकोन मिलकर बराबर हैं उतने समकोन के जो गिनती में ऋजुभुज क्षेत्र की भुजों की तादाद से दुने हैं टि. १ यह अनुमान इस तरह भी सावित होसक्ता है अगर किमी अब स द य ऋजुभुज क्षेत्र के किसी द कोन से सामने के कीनों तक सीधी रेखा खींची जाय तो जाहिर है कि वह क्षेत्र उतने त्रि. भुजों में बट जायगा जो गिनती में उस क्षेत्र की भुजों की तादाद से दो
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