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( १२७ )
य
दिये हुए समानांतर चतुर्भुज के बराबर ऐसा त्रिभज बना सक्त हैं कि उसका एक कोन दिये हुए कोन के बराबर हो टि० २ साधा ४२ उस तरीके की पहली मंज़िल है जिसके जरिये से हम इस बात को कायम करते हैं कि हर ऋजुभुज क्षेत्र के रकबे के बराबर एक बर्ग दर्याफत हो सक्ता है बाकी मंज़िलें पहले अधधाय को साधा ४४ और ४५ और दूसरे अधयाय की साधा १४ में दी हुई हैं
साध्य ४३ प्रमेयोपपाद्य सा सूत्रपूरक उन समानांतर चतुर्भुजों के जो किसी समानांतर चतुर्भज के कर्ण के गिर्द वाक हैं आपस में बराबर होते है
वि० सत्र फर्ज करो कि अवसद समानांतर चतुर्भुजहै जि सका कर्णप्रस है और यह औरफ ज वह समानान्तर चतुर्भुज हैं जो उसके गिर्द है यानी जिनमें होकर अस कर्ण गुज़रता है
और ब क और कद और समानांतर चतुर्भ ज है जो अवसदक्षेत्र को पूरा करते हैं और । इसलिये जिनका नाम पूरक है
तो पूरकबक बराबर होगा पूरक कद के उप. चूंकि अबसद समानांतर चतुर्भुज है और अस उसक का है
इसलिये त्रिभुज अब सबराबर त्रिभुज अदस के है (सा०३४)
फिर चूंकि अयकह समानान्तर चतुर्भुज है और प्रक उसका कण है इसलिये विभुज अथक बराबर है त्रिभुज प्रहक के
सा०३४ और इसी तरह साबित हो सक्ता है कि त्रिभुज कजस बरा वर है त्रिभुज काफस के
इसलिये दो त्रिभुजप्रयक औरक जस बराबर हैं दो त्रिभज प्रहक औरकफस के
स्व. २ लेकिन कुल त्रिभुज अब स बराबर है कुल त्रिभुज प्रदस के इसलिये बाकी पूरक वक बराबर है बाकी पूरक कद के (ख०३)
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