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( १३६ )
कि समानांतर चतुर्भज स ल बराबर है वर्गक्षेत्र ह स के इसलिये कुल वर्गक्षेत्र व द य स बराबर है दो वर्गक्षेत्रों जब
और ह स के
स्व० २
और वर्गक्षेत्र व द य स भुज व स पर बनाया गया है और वर्ग क्षेत्र जव और ह स भुजों अ व और अस पर बनाये गये हैं
फल इसलिये हर समकोन त्रिभुज में समकोन के सामने की आद्योपांत यही साबित करना था
टि :- १ यह माध्य उल साध्य की जो छत्तीसवीं माध्य के व्यभ्यास नम्बरी १३७ में दीगई है सिर्फ एक खाम सूरत है
टि० २ इस साध्य की उक्त दस ने सिर्फ एक सूरत बनायी है लेकिन इसकी व्याठ सूरतें बन सक्ती हैं।
१. तीनों वर्गक्षेत्र वय, बज गौर सह त्रिभुज अबसके बाहर की तरफ़ बनाये जायें
२ तीनों बर्गक्षेत्र बय, बज और सह त्रिभुज अवस के भीतर की तरफ बनाये जावें
333
बय
भीतर की तरफ बनाया जाय और वर्गक्षेत्र बज और सह क्षेत्र बाहर की तरफ बनाये जायें
४
भीतर की तरफ बनाये जावे
और
५ बर्गक्षेत्र बज भीतर की तरफ बनाया जाय और वर्गल बय बाहर की तरफ बनाये जायें
गौर
६ बल बज बाहर की तरफ बनाया जाय और वर्ग बय भीतर की तरफ बनाये जायें
७
सह
बर्गक्षेत्र भीतर की तरफ बनाया जाय और वर्ग क्षेत्र बाहर की तरफ
जां ८ बर्गक्षेत्र सह बाहर की तरफ चलाया जाय
भीतर की तरफ बनायें जांय
इन सूरतों में उक्त दस का सुबुत लगता है सिर्फ इतना याद रखमा चाहिये कि उन में से बाज़ मूरतों में त्रिभुजों अबद और बफस या त्रिभुजी असय और कसब की बराबरी बजाय इम साध्य की चौथी साध्य के उस नतीजे की मदद से जो हमने अड़तीसवीं माध्य के टिप्पन दो में लिखा है मावित होती है
ब बाहर की तरफ बनाया जाय और वर्ग क्षेत्र
वज
और वर्ग क्षेत्र
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गोर सह
वय
सह
सह
गौर बय
बज
और बज