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( २५१ )
उन अ जी के नाथ समकोन बनाती हुई खींची जांयशी वह सब एकाही विन्दु पर मिलेगी और वह बिन्दु त्रिभ ज के कोनों से बराबर दूरी पर होगा ( २३१ ) हर विभ ज क कोनों से जो लंग उना सामने को जजों पर शिराये जायगे वह सबकशी विन्दु होकर गुजरेंगे (२३२ ) पहले अध्याय की ४७ व पायाभल और वसा जोर सपा एक हो वि पर होकर गुजरेगी । २३३ ) तिज अब स की भ ज अलर किन द यफ की अजों की हनी है यानी भुज अब,दय की और शुज सय फ की और भुज सभा भज फाद को और विजयावसको अजों को वीचोंबीच की विधु
मा पर उन म जी के साथ समान बनाने वाली रेखा विज पर लि. लिली है जोर लि जान्ह वफ की अजों की बीचोंबीच को विनों पर उन स जी का साथ मनकोन बनाने वाली रेखा बिंदु ह पर मिलती हैं साबित करो कि जमदनी ह द की और जो तंब जसे त्रिभ ज अवस की भ ज अब पर गिराह दूनाहे उस लंब का जो हसे निभुज द य फा की भ जद य परहे (२२४)त्रिभुज अवस के कोनों से जो लंब उन कोनों के सामने की गुजा पर जिराये जायगे वह बिटु ग पर मिलते हैं और जो रेखा भजो चाक बला
और स वी कीचोंबीच के विन्दुको दाय और फसे उन म जों के साथ पराकोन बगालो नई खीची जी का बिट च पर मिलती। साबित
रोशिमा को को बन्द को और यमदूनी काम को और ग दूनी है दन की ( २३५ ) किमी निमज के लोगों से जो लंव उनके सामने से भुजों पर गिराये गये हैं वह बिन्दु ग पर मिलते हैं और जो रेखा उस कोनों की लामने के भजों के बीचोंबीच के विन्दुजों तक खींची गयी है मह बिन्दु ज पर मिलती है और जो रेखा उन भुजों के बीचोंबीच के वियों पर उनके साथ मसकोन बनाती हुई खींची गयी हैं वह बिन्दुक पर मिलती हैं साबित करो कि विटु ग,ज कौर क रकही सीधी रेखा में है (२३६ ) हर लिभ ज में उग रेखाओं का योग जो त्रिभुज की सुजों के वीचोंबीच के बिन्दुओं से उनके मामने के कोगों तक खौच जांयर्ग विभज की भ जों के योग से छोटा होगा और उस योग से बड़ा होगा (२३७) एक त्रिभ ज की दो भ ज और वह रेखा जो तीसरे मज के वीचोंबीच के बिन्दु से उसके सामने के कोन तक खींची गई है मालम हैं उस त्रिभुज को बनायो (२८) त्रिभ ज का गाधार और वह दो रेखा दी हुई हैं जो
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