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(२३)
टि. (१) यह शक्ता उस सूरत में भी सच्ची मालूम देती है नवक कोन जो एक त्रिभुज की दो भुजों से बना है वही हो जो दुसरे त्रिभुज की दो भुज से बना है जैखाकि त्रिभुज फ अ स और ज अ ब में है (५ वीं माध्य देखो) या जबकि त्रिभुजों में व्याधार उभयनिष्ट हो जैसा कि त्रिभुज फ ब स और जसब में है ( ५वीं माध्य देखो ) या जबकि त्रिभुजों में एक भुज उभयनिष्ट हो
टि० (२) इस साध्य के सुबूत में ग्राच्छादन की क्रिया को काम में लाये हैं और पाठवीं स्वयं सिद्धि के बिलोम को मान लिया है -ग्राच्छादन क्रिया से बराबरी दर्याफ़ करने के लिये इस स्वयं सिद्धि के मान लेने की ज़रूरत है कि हर शक्ल को धरातल पर बगैर उसकी सूरत और बोल तब्दील किये हुए एक जगह से हटाकर दूसरी जगह पर रख सक्ते हैं और धरातल में उसको लौट सक्त हैं इस बात का मान लेना भी ज़रूर है कि अगर एक सीधी रेखा के दो बिन्दुयों के दर्मियान का हिस्सा दूसरी सीधी रेखा के दर्मियान के हिस्से पर पड़ता है तो उस सीधी रेखा के बाकी हिस्मों की दिशाऐं भी एक दूसरी पर पड़ती हैं
टि० (३) हर त्रिभुन में छह राशि होती हैं यानी तीन भुज और तीनकोन और (सिवाय दो ख़ास सूरतों के) जब इन छह राशों में से कोई तीनदी हों तो बाकी तीन दर्यात होसक्ती हैं और त्रिभुज मालूम हो सक्ता है इसलिये अगर दो त्रिभुजों में एक त्रिभुज की तीन राशि जिनसे त्रिभुज मालूम हो सक्ता है दूसरे त्रिभुज की उन्हीं तीन राशों के अलग बरावर हों तो यह साबित होता है कि त्रिभुज भी ग्रापस में बराबर होंगे इ तीन राशों को छह सूरतें हो सक्ती हैं और वह यह हैं.
१ तीन कोने
२ तौन भुज
३ दो भुज और उनसे बना हुआ कोन
8 दो भुज और उनमें से एक भुज के सामने का कोन५ दो कोन और उनके बीच की भुज
६ दो कोन और उनमें से एक कोन के सामने की भुज
पहिली सूरत उन दो सूरतों में से है जिनमें त्रिभुज नहीं दर्याफ़ होक्ताहै क्योंकि त्रिभुज की भुज बर्गर कोने के घटने बढ़ने के घट बढ़ सक्ती है दूसरी मूरत इस अध्याय की आठवों साध्य में साबित हुई है तीसरी सूरत इस साध्य में साबित हुई है।
चौथी सूरत में भी त्रिभुज ठीक २ नहीं मालूम हो सक्ता है क्योंकि यह मुमकिन है कि एक त्रिभुज की दो भुज दूसरे त्रिभुज की दो भुजों के व्यलग२ बराबर हों और एक भज के सामने का कोन भी बराबर हो दूसरे त्रिभुज के एक कोन के जो पहली भुज के बराबर भुज के सामने है लेकिन त्रिभुज व्यापस में बराबर न हों
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