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उपयोग- इस वर्गणा से तैजस शरीर बनता है, जिससे अपने शरीर में गर्मी आदि रहती है और खाया हुआ अन्न पचता है। अर्थात् पाचन तंत्र (Digestiion System) इस शरीर के बिना नहीं हो सकता है।
5. भाषा वर्गणा
तैजस वर्गणा से भाषा वर्गणा में अनंतगुने परमाणु होते हैं और उसका क्षेत्र तैजसवर्गणा से असंख्यातगुण हीन होता है 10°x100= 10” परमाणु 10 : 10 = 10 घन सेंटीमीटर क्षेत्र ।
उपयोग- हम जब बोलते हैं तब हमारी आत्मा कुछ प्रक्रिया करती है, सर्वप्रथम भाषापर्याप्ति (पर्याप्ति एक विशेष प्रकार की आत्मिक शक्ति ये छः होती है आहार, शरीर, इन्द्रिय, श्वासोच्छ्वास, भाषा, वमन इनमें पाँचवीं भाषा पर्याप्ति मिट्टी, पानी, आग, हवा और वनस्पति नामक एकेन्द्रिय जीवों को छोड़कर सभी जीवों में रहती है) के बलबूते हमारी आत्मा भाषावर्गणा के पुद्गलों को ग्रहण करती है और वचन योग नामक योग को काम में लगाकर उस भाषा वर्गणा को भाषा रूप में परावर्त्तित करती है। यही भाषा आप और हम सुन पाते हैं। 6. श्वासोच्छ्वासवर्गणा
भाषा वर्गणा से इसमें परमाणु अनंतगुने होते हैं और क्षेत्र होता है - असंख्यात गुण हीन ।
101x100=1013 परमाणु और 105 + 10 = 104 घन सेंटीमीटर क्षेत्र ।
उपयोग - जब हम सांस लेकर छोड़ते हैं उस वक्त इसी श्वासोच्छ्वास वर्गणा को लेकर हमारी आत्मा सांस बनाती है।
मेरे कर्म तेरी गति न्यारी...!! / 28
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