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साधना की। चारित्र लिया। सुविशुद्ध पालन कर अनुत्तर देवलोक में उत्पन्न हुई। वहाँ से एक भव करके गुणमंजरी मोक्ष में जायेगी।
कहीं आप तो...?
जिस तरह गुणमंजरी ने पुस्तकों को जलाकर तीव्र ज्ञानावरण. कर्म बाँधा। उसी तरह आज भी कई लोग अज्ञानतावश पुस्तकें जला देते हैं...दीपावली के दिन आतिशबाजी कर पटाखे फोड़ते हैं। इन पटाखों से बेचारे उड़ने वाले पक्षी घबरा कर रात को इधरउधर टकराकर मौत के मुँह में चले जाते हैं। इन पटाखों की वेदी पर असंख्य मूक पक्षी भेंट चढ़ जाते हैं।
'अबोल पशु करे पुकार, हमें बचाओ हे नरनार !' इन पटाखों से कई दुकानों एवं मकानों में आग लग जाती है...। बचे जल जाते हैं..... अपंग हो जाते हैं..। अपार जन-धन की हानि होती है... चींटी आदि जीवों की होली और हमारी दीपावली ? वाहजी...वाह...! यह कैसा न्याय !!
ज्ञान की विराधना के साथ अन्य भी कई नुकसान है...पटाखे नहीं फोड़े तो क्या खाई हुई रोटी नहीं पचती ? न तो हमें फोड़ने चाहिये और न किसी को लाकर देने चाहिये.....नौजवानों ! इस व्यर्थ की हिंसा से बचने के लिये बुलंदी के साथ एक ही आवाज में कह दीजिये 'पटाखे नहीं फोड़ेंगे......नहीं फोड़ेंगे....(कई नौजवानों ने जोश में अहिंसा प्रेम जताया)..देखिये....नेता लोग शपथ लेते है तब ही वे राज्यपाल....पी. एम. आदि कहलाते हैं। इसी तरह आप सभी परमात्मा की साक्षी में प्रण लीजिये....(कई युवकों ने स्वेच्छा से भीष्म प्रतिज्ञा की) वाह....वाह....आप सभी वीर प्रभु के शासन के वीरसंतानों को धन्यवाद !!
रे कर्म तेरी गति न्यारी...!! /90
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