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मछली का एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट करने वालों ! मांस का निर्यात करने वालों ! सावधान हो जाओ.... वरना कर्मसत्ता तुम्हें माफ नहीं करेगी.... सजा देने के लिए उसके पास नरक की पासपोर्ट तैयार है... !!
3. रौद्र परिणाम : कंडरिक ने एक हजार वर्ष तक चारित्र पालन किया....वापिस गृहस्थ बन गया। बड़े भाई पुंडरिक ने दीक्षा ली और कंडरिक को राज्य सौंप दिया.....रस लोलुपता से कंडरिक
ने खूब खाया....' यह भ्रष्ट है .... खाने की भी तमीज नहीं ..... कौन इसकी सेवा करें ?' इस प्रकार मंत्रियों की उपेक्षा देखकर भयंकर रौद्र परिणाम आया .... यदि कल ठीक हो जाऊँगा तो..... एक-एक का मस्तक धड़ से अलग कर दूँगा.... रात्रि में ही मरकर सातवीं नरक में गया।
4. झूठ का तीव्र परिणाम : वसुराजा ने जानते हुए भी अशुभ अध्यवसायों से झूठ बोला .... सफेद झूठ ! 'अज का अर्थ बकरा होता है' झूठ के कारण मरकर सातवीं नरक में गया।
5. अन्य कारण : पंचेन्द्रिय हत्या (गर्भपात भी पंचेन्द्रिय हत्या कहलाती है), रात्रि भोजन (नरक का प्रथम द्वार ) जमीकंद, अचार आदि अभक्ष्य भोजन, परस्त्री वेश्यागमन आदि से भी नरकायु बँधी है।
तिर्यंच आयुष्य कर्म के बंध हेतु
1. आर्त्तध्यान
इष्ट संयोग-अनिष्ट वियोग-वेदना-नियाणा ये सभी आर्त्तध्यान
कहलाते हैं ।
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रे कर्म तेरी गति न्यारी...!! /118
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