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प्रवचन-11 गोत्रकर्म के भेद औरबंधहेतु
गोत्र कर्म के दो भेद होते हैं। 1.उच्च गोत्रकर्म
जिस कर्म के उदय से ऐश्वर्य और सत्कार आदि से संपन्न ऐसे उत्तम कुल और जाति में जन्म हो। 2. नीचगोत्र
जिस कर्म के उदय से ऐश्वर्य आदि से रहित ऐसे हीन कुल और जाति में जन्म हो।
रे कर्म तेरी गति न्यारी...!! /149
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