Book Title: Re Karm Teri Gati Nyari
Author(s): Gunratnasuri
Publisher: Jingun Aradhak Trust

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Page 168
________________ 22. गुरु के दोष देखने से कौन बोधिदुर्लभ बना ? ___ (अ) कुलवालक। (ब) मेतारज । (स) खंधक। सूचना- नीचे के प्रश्नों के सही उत्तरों को उत्तर पत्र पर लिखिये। 23. Odd Man out असंबद्ध शब्दों को खोज निकालिये। (अ) ज्ञानावरण (ब) दर्शनावरण (स) वेदना सूचना- निम्न प्रश्नों के उत्तर पाँच लाईनों में लिखिये। 24. गुणमंजरी ने ज्ञानावरणीय कर्म का उपार्जन किस तरह किया ? . 25. क्षमा पर दृढप्रहारी का उदाहरण स्पष्ट कीजिये। कर्मवाद से जीवन में शांति और समाधि कैसे प्राप्त होती है? 'रे कर्म ! तेरी गति न्यारी' को पढ़ने से आपको कर्मवाद की बातों को जानने को मिली है। पुस्तिका पर अपने स्वतंत्र विचार प्रस्तुत कीजिये। आइये, हम अपने जवाबों की तुलना करें। 1. स 2. अ 3. ब 4. अ 5. ब 6. अ 7. अ 8. अ 9. अ. 10. अ 11. अ 12. ब 13. स 14. अ 15. अ 16. ब 17. अ 18. अ 19. स 20. अ 21. अ 22. ब 23. स रे कर्म तेरी गति न्यारी...!! /167 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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