Book Title: Re Karm Teri Gati Nyari
Author(s): Gunratnasuri
Publisher: Jingun Aradhak Trust

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Page 118
________________ आयु बन्ध के हेतु कौनसे हैं ? आयुष्य कर्म के बंध हेतु नरकायुष्य कर्म के बंध हेतु 1. महापरिग्रह में आसक्त : अमर्यादित परिग्रह में आसक्त रहने वाला....जो भी होता है वह नरकायुष्य बाँधता है । मम्मण सेठ को सातवीं नरक के दरवाजे पर दस्तक लगानी पड़ी.... अथाह ..... हीरे से जड़ित बैलों की जोड़ी यहीं पड़ी रही और नारकीय यातनाएँ मम्मण को आज भी सहनी पड़ रही है.... उसकी आर्त्त चीखें आज भी हमें बहुत कुछ सोचने पर मजबूर कर देती है। धन..... 2. महा- आरंभ में आसक्त : महा- आरंभ में आसक्त कालसौकरिक कसाई मरकर सातवीं नरक में गया...... रे कर्म तेरी गति न्यारी...!! / 117 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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