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6. हुंडकसंस्थान नामकर्म
जिस कर्म के उदय से जीव को शरीर के सभी अवयव अशुभ लक्षणवाले मिले।
विशेष : नारक, स्थावर और विकलेन्द्रिय को हुंडक संस्थान होता है। देव को पहिला संस्थान होता है, पंचेन्द्रिय तिर्यंच और मनुष्य को छ: संस्थान होते हैं।
पहला संस्थान नामकर्म पुण्यप्रकृति है। शेष पाँच पापप्रकृतियाँ
है ।
7. वर्ण नामकर्म
जिस कर्म के उदय से जीव के शरीर में श्वेतादि वर्ण (रंग) होते हैं। इसके पाँच भेद हैं
1. कृष्णवर्ण नामकर्म - जिस के उदय से शरीर में कालाश्याम (Black) रंग होता है।
2. नीलवर्ण नामकर्म - जिसके उदय से शरीर में नीलआसमानी (Blue) रंग होता है।
2. लोहितवर्ण नामकर्म - जिसके उदय से शरीर में लाल (Red) रंग होता है।
3. हारिद्रवर्ण नामकर्म - जिसके उदय से शरीर में पीला (Yellow) रंग होता है।
4. श्वेतवर्ण नामकर्म - जिसके उदय से शरीर में श्वेत (White) रंग होता है।
रे कर्म तेरी गति न्यारी...!! / 136
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