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8. रस नामकर्म
जिस कर्म के उदय से जीव के शरीर में तिक्त (तीखा) आदि रस होते हैं.......उसके पाँच भेद होते हैं।
1. तिक्तरस नामकर्म जिस कर्म के उदय से शरीर में मिर्च - सा तीखा रस होता है। मिर्च के जीवों को यह कर्म उदय में होता है।
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2. कटुरस नामकर्म - जिस कर्म के उदय से शरीर में करेला जैसा कडुवा रस होता है..... करेला के जीवों को इसी कर्म का उदय होता है।
3. कषायरस नामकर्म - जिसके उदय से शरीर में हरडे-सा कसैला रस होता है।
4. आम्लरस नामकर्म - जिसके उदय से शरीर में इमलीसा खट्टा रस होता है।
5. मधुररस नामकर्म - जिसके उदय से शरीर में गुड़-सा रस होता है।
9. गंध नामकर्म
जिस कर्म के उदय से जीव के शरीर में सुगंध अथवा दुर्गंध होती है। उसके दो भेद हैं।
1. सुगंध नामकर्म - जिस कर्म के उदय से जीव के शरीर में गुलाब के फुल जैसी सुगंध होती है।
2. दुर्गंध नामकर्म - जिस कर्म के उदय से लहसून-सी दुर्गंध होती है।
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रे कर्म तेरी गति न्यारी...!
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