Book Title: Re Karm Teri Gati Nyari
Author(s): Gunratnasuri
Publisher: Jingun Aradhak Trust

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Page 128
________________ बालतप अज्ञान तप ! सम्यग्ज्ञान के अभाव में बालतप करके कई जीव देव आयुष्य भी बाँधते हैं। जैसे कि तामलि तापस-कमठअग्निशर्मा आदि । अकामनिर्जरा बिना इच्छा से भी दुर्ध्यान न करते हुए आये हुए कष्टों को सहन करना । जैसे कि धवल नामक बैल ने अपने मालिक के प्रति वफादारी जताते हुए पाँच सौ बैलगाड़ियाँ खींच दी... चूँकि गाड़ियाँ फँस गई थी। संधिस्थान सभी टूट गये | मालिक को आगे जाना था, अत: उसने गाँव के लोगों को खूब पैसे दिये। लोगों ने विश्वास दिलाया कि इस वफादार बैल की उचित शुश्रुषा की जायेगी । मालिक निश्चित होकर चला गया। मगर.... गाँव के लोगों के नीयत में खोट आ गई। विश्वासघात कर, पैसे डकार गये, और बिमार बैल की सेवा - सुश्रुषा कुछ भी नहीं की। अनिच्छा से वह बैल भूख-प्यास और शारीरिक यातना को सहता हुआ देव आयुष्य को बांध कर शूलपाणि यक्ष बना । उपयोग देकर अपनी पूर्वावस्था देखी....। वह क्रोध से पागल हो उठा..... पूरे गाँव को उसने श्मशान बना डाला.... गाँव का नाम पड़ .गया..... T..... अस्थिग्राम....! भगवान महावीर वहाँ पर पधारे...... ..तब क्या हुआ ? पर्युषण के दिनों में कल्पसूत्र का वाचन होता है.... ध्यान से सुनेंगे तो इस रोचक कहानी का उत्तरार्ध वहाँ मिल जायेगा......! Jain Education International रे कर्म तेरी गति न्यारी...!! / 127 For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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