________________
में खूब आसानी से हो सकता है। उस-उस वेदमोहनीय कर्म के उदय से उस-उस प्रकार की इच्छा उत्पन्न होती है।
मोहनीय कर्म के बन्धके हेतु कौनसे हैं?
मोहनीय कर्म के 3+16+9=28 भेद हुए। बंध के कारण निम्न हैं। • 1.उन्मार्गदेशना
मोक्षमार्ग से विरूद्ध मार्ग की देशना देना....उपदेश देना....जैसे तीसरे भव में भगवान महावीर स्वामी के जीव त्रिदंडिक , मरिचि ने कपिलनामक राजकुमार को उन्मार्ग देशना देते हुए कहा कि- 'कविला ! इत्थंपि इहयंपि' भगवान ऋषभदेव के पास भी धर्म
रे कर्म तेरी गति न्यारी...!! /109
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org