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है। नरक आदि गतियों में उत्पन्न होती हैं और वहाँ उसे अनगिनत काल तक दु:ख सहना पड़ता है।
उदाहरण के तौर पर...एस. एस. सी. की परीक्षा में कोई फेल हो जाता है, तो वह ट्रेन की पटरी पर सोकर या कांकरिया तालाब में गिरकर आत्महत्या कर लेता है। यदि वह अशुभविचार और लेश्या में नरक जैसी दुर्गति में चला जाता है.........तो वहाँ कितने समय तक उसे दु:ख भुगतना पड़ेगा........? इस बात का वह विचार तक नहीं करता है। कदाचित् वह व्यक्ति यहाँ जीवित रहता तो दूसरे वर्ष पास भी हो जाता....मरने के बाद तो पास होने की बात ही नहीं रहती है न ! अत: आत्महत्या तो क्या कभी उसका विचार भी नहीं करना चाहिये। हत्या पाप है तो आत्महत्या महापाप । क्योंकि इस पाप का पश्चाताप करने का कोई मौका ही नहीं रहता। ___आत्महत्या करने वाले को अंत समय में नसीब से अच्छा विचार आ भी जाय तो भी भूत-प्रेत जैसी व्यंतर देवों की तुच्छ योनि मिलती है, परन्तु ऐसे जीव भी बहुत कम होते हैं।
प्रश्न - भूत-प्रेत-डायन आदि क्या है ?
उत्तर - जो जीव व्यंतर योनि में देवरूप से उत्पन्न होते हैं...वे कौतुक के लिये किसी को डराते हैं.....हँसाते हैं...रूलाते हैं....दूसरे लोगों के शरीर में प्रवेश करते हैं....अपने अनुकूल लोगों को सहाय भी करते हैं...और अपने से प्रतिकूल हो उन्हें तंग भी करते हैं।
प्रश्न - भूत-प्रेत लगना क्या सच है ? उत्तर - कितने ही लोगों में व्यंतरदेवों का उपद्रव वास्तविक
रे कर्म तेरी गति न्यारी...!! /62
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