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अतः औदारिकवर्गणा से वैक्रियवर्गणा असंख्यात - गुणहीन क्षेत्र वाली होती है, इसी तरह आगे की वर्गणाओं में भी समझ लेना । कल्पना से असंख्यात = 10, औदारिकवर्गणा 1,000,000,000 घन सेन्टीमीटर वाली है तो फिर वैक्रियवर्गणा का क्षेत्र कितना होगा ? औदारिकवर्गणा की संख्या को असंख्यात = 10 से भाग (Divide) दीजिये, जवाब आ जायेगा.... 1,00,000,000 घन सेन्टीमीटर क्षेत्र होता है, आगे की वर्गणाओं में भी यही तरीका अपनाना चाहिये। उपयोग: देव और नरक के जीवों का शरीर वैक्रिय वर्गणा से बनता है।
3. आहारक वर्गणा
वैक्रियवर्गणा से आहारकवर्गणा में अनंतगुने परमाणु होते हैं और वैक्रियवर्गणा से उसके क्षेत्र का घेराव असंख्यातगुणहीन होता है। जैसे कि वैक्रियवर्गणा 105 x 100 (अनन्त) = 107 परमाणु होते हैं और वैक्रियवर्गणा 10° = 10 = 107 घन सेन्टीमीटर्स क्षेत्र का घेराव ।
उपयोग- चौदहपूर्व के ज्ञानी भगवंतों को जब किसी शंका का समाधान करना हो अथवा तीर्थंकर परमात्मा की ऋद्धि देखनी
हो, तब वे एक हाथ लंबा आहारकशरीर इसी आहारवर्गणा से बनाते
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हैं। यह शरीर सर्वावयव संपन्न होता है और पहाड़ों को भेद कर अपने लक्ष्य की ओर जाने की इसकी क्षमता होती है।
4. तैजसवर्गणा
आहारकवर्गणा से अनंतगुने परमाणु जुड़ते हैं, तब तैजसवर्गणा बनती है 10 7 x 100 = 109 परमाणु और क्षेत्र 107÷10=10° घन सेंटीमीटर ।
रे कर्म तेरी गति न्यारी...!! / 27
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