Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 5
Author(s): Kasturchand Kasliwal, Anupchand
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur
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५२ ]
विशेष-प्रतिम पत्र नहीं है।
५१६. प्रतिसं० ६ पत्र सं० १९७ । ले० काल x पूर्ण वेन ० ४०६ - १५२ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर कोटडियों का इंगरपुर ।
५२० प्रतिसं० ७ पत्र [सं० ८४ । ले०काल x पूर्ण वेष्टन ० ७६ प्राप्तिस्थानदि० जैन मन्दिर बड़ा बीसपंची दौता ।
[ ग्रन्थ सूची- पंचम भाग -
५२१ प्रतिसं०]
प ० १९६० ११४७३ इस से ०काल X पूर्ण वेष्टन सं० २३ ५० प्राप्तिस्थान दि० जैन मन्दिर थड़ा बीसपंथी दौसा |
विशेष – रतनचन्द पाटनी ने दौसा में प्रतिलिपि की थी ।
५२२ प्रतिसं० १ पत्र सं० १२३ ।
४० प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर बड़ा बीसपंची दौता ।
०काल सं० १७०५ जेठ सुदी १ । पूर्ण बेष्ट सं० २५
विशेष- पंडित ईसर अजमेरा लालसोट वाले ने प्रतिलिपि की थी ।
५२३. प्रतिसं० १० । पत्र सं० ३७ श्रा० १२५३ इव । लेव्काल सं० १८६१ । पू i बेटन सं० १७ प्राप्ति स्थान दि० जैन तेरहपंथी मन्दिर दोसा |
विशेष - भवानीराम से प्रतिलिपि कराई थी ।
५२४. प्रतिसं० ११ । प० १२९ । सुदी ११ वेष्टन सं० २०-२५ प्राप्ति स्थान
० १०३ X ७३ इव । ले०काल सं० १८५६ चैत्र दि० जैन मन्दिर तेरही दौसा ।
विशेष प्रति उत्तम है। सेवाराम ने दौसा में प्रतिलिपि की थी।
५२५. प्रतिसं०] १२ । प०
२४ प्राप्ति स्थान दि०जैनगन्दर वादिना
ले काल सं०१८१२ ज्येष्ठ यी १३ पू वेष्टन सं०बूंदी
५२६. प्रतिसं० १३ । मत्रसं० ४-६५ । ले० काल X | अपूर्ण वेन सं० १५० । प्राप्ति स्थान दि० जंन मन्दिर दबलाना (बूंदी)।
विशेष - - इसका नाम तत्वार्थरत्नप्रभाकर भाषा भी दिया है ।
५२७. प्रतिसं० १४ पत्रसं० २० । ले० काल सं० १७५५ माघ सुदी १२ पूर्ण वेष्टन ० ३१ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर चेतनदास दीवान पुरानी डीग ।
५२६. प्रतिसं० १५ पत्रसं० ७६ । ले० काल X पूर्ण वेष्टन सं० ३२ प्राप्ति स्थान-उपरोक्त मन्दिर |
विशेष तत्वायंसूत्र को श्रतसागरी टीका के प्रथम अध्याय की भाषा है। ५२४. तत्वार्थसूत्र टीका गिरिवरसिंह पत्र सं०- ७७ | भाषा-हिन्दी विषयसिद्धांत । २० काल १९३५ । ले-काल ४ । पूर्णं । वेष्टन सं० ६३ | प्राप्तिस्थान -- दि० जैन मन्दिर दीवानी, भरतपुर ।
विशेष - टीका बही में लिखी हुई है ।