Book Title: Pramukh Jainacharyo ka Sanskrit Kavyashastro me Yogadan
Author(s): Rashmi Pant
Publisher: Ilahabad University

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Page 11
________________ चतुर्थ अध्याय दोष - विवेचन 204 - 278 204 - 206 206 - 276 208 - 216 216 दोष - स्वरूप दोष - भेद पददोष पदांशगत दोष वाक्य - दोष उभय - दोष अर्थ - दोष रस - दोष दोष - परिहार 217 - 234 234 - 246 247 - 262 262 - 276 276 - 278 पंचम अध्याय गपविवेचन व जैनाचार्य 279 - 309 गप - विचार गुप - भेद - 286 286 - 309 षष्ठ अध्याय अलंकार विवेचन व जैनाचार्य 310 - 348 310 - 314 314 अलंकार स्वरूप अलंकार संख्या अलंकार वर्गीकरप शब्दालंकार विवेचन अर्थालंकार विवेचन 315 315 -325 325 -348

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