Book Title: Path ke Pradip Author(s): Bhadraguptavijay Publisher: Vishvakalyan Prakashan Trust Mehsana View full book textPage 8
________________ निवेदन विश्वकल्याण प्रकाशन-जयपुर की पंचवर्षीय योजना के अन्तर्गत यह १७वी पुस्तक है । संस्था के पास कोई रिजर्व फंड नही होते हुये भी शंखेश्वरपार्श्वनाथ भगवंत के अचिन्त्य प्रभाव से संस्था अपने पवित्र ध्येय की ओर अग्रसर होती जा रही है। __ नये-नये सदस्य बनते जाते हैं और नयी-नयी पुस्तक प्रकाशित होती जा रही है। इस पुस्तक के पश्चात् 'अन्तरनाद' प्रकाशित होगी। संभवत. इस किताब के साथ ही 'अन्तरनाद' आप को भेज देंगे। निवेदक मानद मंत्री जयपुर १-१-७३Page Navigation
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