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( ३ ) बनारस का चुलनीपिता नामक श्रावक भी १२ व्रतवारी पास मी २४ कोड सुवर्ण मोहरें और ८० हजार
था, इस के
गायें थीं ।
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( ४ ) सुरादेव श्रावक भी बनारस का ही रहनेवाला था । उसके यहाँ १२ क्रोड़ सुवर्ण मोहरे और २६००० गायें थीं ।
(५) चुल्लशतक श्रावक आलंभिका नगरी का एक प्रसिद्ध व्यापारी था उसके पास १२ क्रोड सुवर्ण मोहरोंकी और ६००० गौओकी संपत्ति थी | ( ६ ) कुण्ड कोकिल श्रावक कांपिल्यपुर का रहने वाला था । उसकी हैसियत १२ क्रोड सुवर्णमोहरोंकी और ६००० गौओकी थी ।
( ७ ) पोलासपुर नगर का रहनेवाला सद्दालपुत्र ( कुंभार ) प्रभुका श्रावक था, तीन क्रोड अशरफियें और ५०० मट्टी के बरतनोंकी दुकानें इसकी दौलत थी |
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गायें थीं | इस्र
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( ८ ) आठवें श्रावक का नाम महाशतक था । रहीस था, इसके पास २१ क्रोडसोनैयें और ८००० श्रावक की १३ स्त्रियाँ थीं । प्रधान स्त्रीका नाम रेवती था । यह एक वढे दौलतमंदकी लडकी थी । इसको इसके बापकी तरफसे ८ क्रोड सोनैये और ८००० गायें दहेज में मिली थीं ।
( ९ ) ऐसे ही सावत्थीका रहनेवाला नन्दिप्रिय श्रावक भी बढा खानदान और दौलतमन्द था ।
( १० ) सावत्थीका रहनेवाला तेतलीपिता भी १२ क्रोड सोनैयो की और ४००० मौओं की हैसियत भोगता था ।
इसके अलावा धन्ना, शालिभद्र, धन्नाकाकंदी वगैरह अबजपति साहूकार महावीर प्रमुके सेवक थे । जंबुकुमारने ९९ कोटि सोनैये छोड कर ५२६ स्त्री पुरुषोंके साथ प्रमुके शिष्य सुधर्मा स्वामी के पास दीक्षा ली थी ।
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