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इतनी संख्या होती है । वह गर्भज मनुष्यों की जघन्य संख्या है।
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"एकं, दसं, सयं, सहस्सं, दस सहस्सं, लख्खं, दह लख्खं, कोडि, दह कोडिं, कोडिं सयं, कोडि सहस्सं, दसकोडि सहस्सं, कोडि लख्खं, दह कोडिं लख्खं, कोडा कोडि, दह कोडा कोडि, कोडा कोडि सयं, कोडा कोडि सहस्सं, दह कोडा कोडि सहस्सं, कोडा कोडि लख्खं, दह कोडा कोडि लख्खं, कोडा कोडि कोडि, दह कोडा कोडि कोडि, कोडा कोडि कोडि सय, कोडा कोडि कोडि सहस्सं, दह कोडा कोडि कोडि सहस्सं, कोडा कोडि कोडि लख्खं, दह कोडा कोड कोडि लख्खं, कोडा कोडि कोडि कोडि, इत्यादि अंक वाचन प्रकारः ॥ "
जो अंक बोले जाते हैं वह इस प्रकार से एक, दस, सौ, हजार, लाख, दस लाख, करोड़, दस क़रोड़, सौ करोड़, हजार करोड़, दस हजार करोड़, लाख करोड़, दस लाख करोड़, करोड़ करोड़, दस करोड़ करोड़, सौ करोड़ करोड़, हजार करोड़ करोड़, दस हजार करोड़ करोड़, लाख करोड़ करोड़, दस लाख करोड़ करोड़ करोड़ करोड़ करोड़ करोड़ इत्यादि संख्या के भेद हैं।
एतेषामेव एकोनत्रिंशतांक स्थानानां पूर्व पुरुषैः पूर्व पूर्वांगेः परि संख्यानं कृतम्। तद् उपदर्श्यते। तत्र चतुरशीतिर्लक्षाणि पूर्वांगाम् । चतुरशीतिलक्षाः चतुरशीत क्षैः गुण्यन्ते ततः पूर्व भवति । तस्य परिमाणं सप्ततिः कोटि लक्षाणि षट्पंचाशत् कोटिसहस्राणि ( ७०५६००००००००००)। एतेन पूर्वोक्तांकराशेः भागो हियते ततः इदम् आगतम् -
पूर्व कहे उन्तीस अंक स्थानों की संख्या का पूर्वाचार्यों ने पूर्व और पूर्वांग निकाला है । वह इस प्रकार - पूर्वांग अर्थात् चौरासी लाख; चौरासी लाख को चौरासी लाख द्वारा गुणा करने पर जो संख्या आती है वह पूर्व है । यह गुणाकार. ७०५६०००००००००० अर्थात् सत्तर लाख छप्पन हजार करोड़ होता है। इस परिमाण द्वारा पूर्वोक्त उन्नतीस अंक की संख्या का पूर्व और पूर्वांग आता है । वह
इस तरह
मणुआणं जहन्नपदे एगारस पूव्वकोडि कोडिओ । बावीस कोड लख्खा कोडि सहस्सा च चुलसीइ ॥१॥
अट्ठेव य कोडिसया पुव्वाण दसुत्तरा तओ हुंति । एक्कासीइ लख्खा पंचाण ओइ सहस्सा य ॥२॥