Book Title: Lokprakash Part 01
Author(s): Padmachandrasuri
Publisher: Nirgranth Sahitya Prakashan Sangh

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Page 625
________________ (५८८) . अब पुद्गल के परिणाम के विषय में कहते हैं । वर्ण परिणाम के पांच भेद हैं- कृष्ण, नील, अरुण, पीला और सफेद । पुद्गल परिणामी को काजल आदि के समान कृष्ण-काला होता है, नील के समान नीला होता है, इंगुर के समान रक्त लाल होता है, सुवर्ण के समान पीला होता है और शंख के समान सफेद-श्वेत होता है । (११३-११४) ये वर्ण परिणाम हैं । (५) शुक्लाः शंखादिवत् गंध परिणत्या तु ते द्विधा । . पुष्पादितवत्सुरभयो दुर्गन्धा लशुनादिवत् ॥११५॥युग्मम्॥ . इति गंध परीणामः ॥६॥ अंब गंध परिणाम कहते हैं । गंध परिणाम दो प्रकार का होता है - १. पुद्गल परिणामी पुष्प आदि के समान सुगंन्धित होते हैं और २. लहसुन के समान दुर्गन्ध . वाले भी होते हैं । (११५) यह गंध परिणाम है । (६) रसैः परिणतास्ते तु प्रकारैः पंचभिर्मताः । तिक्तं कटु कषायाम्लमधुरा इति भेदतः ॥११६॥ कोशातक्यादि वत्तिक्ताः कटवो नागराद्रि वत् । प्रोक्ता आमकपित्थादिवत् कषाय रसांचिताः ॥११७॥ __इति रस परीणामः ॥७॥ . अब रस परिणाम कहते हैं, रस परिणाम पांच प्रकार का है - तीखा, कड़वा, कसैला, खट्टा और मीठा । तीखा- चरपरा-तीखापन समान, कड़वा-कड़वा नागरादि समान, तुर कच्चे कोठा समान, खट्टा इमली समान और मधुर चीनी आदि के समान होता है । (११६-११७) आम्लाकादि वदम्लाः स्युर्मधुराः शर्करा दिवत् । स्पर्शः परिणता येऽपि तेषामष्टौ विधा पुनः ॥१८॥ उष्ण शीतौ मृदुस्वरौ स्निग्धरूक्षौ गुरुलघुः । उष्ण स्पर्शास्तत्र वह्नयादि वत् शीता हिमादिवत् ॥११६॥

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