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धात्री का उत्तर - विलाप का कारण शोक । रोहिणी का प्रश्न - शोक क्या श्रौर कैसा होता है ? इस पर धात्री का रोष ।
१३. रोहिणी की क्षमायाचना, किन्तु शोक नाम की वस्तु का प्रज्ञान प्रदर्शन । पति का रोष व लोकपाल पुत्र का प्रसाद से क्षेपण । देवों द्वारा बालक की रक्षा । बालक को खेलते देख व रोहिणी के पुण्य प्रभाव को जानकर सबका विस्मय तथा धर्मरुचि । रूप्यकुंभ और सुवर्णकुंभ मुनियों का श्रागमन । राजा द्वारा वन्दना व पूर्वजन्म संबंधी प्रश्न ।
१५. मुनि का उत्तर । उत्तर दिशा में बारह योजन पर नील पर्वत । मृगमारी व्याध । यशोधर मुनि का आगमन । उस दिन व्याध को कोई शिकार न मिला। मुनि को कारण जान उनके भिक्षा को जाने पर पासनशिला को तपाना ।
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( ५६ )
धात्री द्वारा परिचय - हस्तिनापुत्र के राजा वीतशोक का पुत्र अशोक । कुमारी द्वारा वरमाला अर्पण |
अन्य राजाओं का नैराश्य और रोष ।
अशोक का राजाओं से युद्ध |
अशोक से पराजित हो नरेशों का पलायन ।
( अशोक - रोहणी विवाहोत्सव ) ।
( हस्तिनापुर आगमन । स्नेह । पुत्र जन्म) विलाप करती हुई महिला को देखकर रोहिणी का धात्री से प्रश्न ।
१६. मुनि का शिला पर बैठते ही मरण व मुक्ति । व्याध को कुष्ठ-व्याधि व मरकर नरक नमन । पुनः पुनः पशु व नरक योनि में जन्म। फिर इसी नगर में ग्वाला वृषभसेन । दुर्गन्धयुक्त देह । नीलगिरी में दावाग्नि से मरण । प्रतएव उसकी माता का शोक |
१५.
१७. रोहणी की भवावलि । उसी नगर में वसुपाल का राज्य । धनमित्र सेठ, धनमित्रा पत्नी । पुत्री दुर्गन्धा । वहीं सागरसेन की श्रीमती भार्या का पुत्र श्रीषेण, खल स्वभाव के कारण मृत्युदंड को प्राप्त ।
उसे धनमित्र का प्रस्ताव कि यदि पुत्री को विवाहे तो मृत्युदंड से मुक्त कराया जाय । स्वीकृति । राजा को प्रसन्न कर मुक्ति । दुर्गन्धा से विवाह । उसका स्पर्श असह्य पाकर पलायन । मुनि भागमन । दुर्गन्धा का प्रश्न | मुनि का उत्तरसोरठ देश । गिरिनगर । भूपाल राजा । गंगदत्त वणिक् । मदनोत्सव की यात्रा । मुनिदर्शन | सिंधुमती भार्या से आग्रह
१६.
घर जाकर मुनि को भोजन करा श्राश्रो । रोषपूर्वक लौटकर कड़वी तूंबी का श्राहारदान | मुनि की मृत्यु । विमान द्वारा शव यात्रा । लौटते हुए राजा ने देखा और प्रश्न किया ।
२०. वृत्तान्त जानकर राजा का शोक व रोष । सिंधुमती का खरारोहण व निस्सारण कुष्ठव्याधि से मरण । कुत्ती, शूकरी, श्रगाली, उंदुरी, जलूका, मातंगी, गर्दभी व गाय योनियों में भ्रमण कर तू दुर्गंधा हुई । सुनकर दुर्गंधा का पश्चाताप |
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