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संधि-३८ कडवक १. सात्यकी रुद्र कथा-विजया की दक्षिण श्रेणी, किन्नरगीत नगर । रत्नमाली
विद्याधर राजा, पुत्र रुद्रमाली। विद्या सिद्धि में संलग्न । विद्याधर कुमारी का दर्शन । मोह । भ्रमर बनकर मुख पर स्थिति । कुमारी द्वारा विद्यासिद्धि की की अवधि । अपना परिचय, उत्तर श्रेणी में गंधर्वपुर के राजा महाबल की पुत्री। माता का नाम प्रभाकरी व स्वनाम अर्चामालिनी । अवधि की समाप्ति पर विवाह । मनोजय और चित्तवेग विद्याधर महाज्वालिनी विद्या द्वारा रुद्रमाली को बांध कर ले गये। रुद्रमाली का उन्हें जीतकर लौटना। पत्नी सहित दीक्षा ग्रहण । दोनों का सन्यासपूर्वक स्वर्गवास । महेश्वरपुर के गांधार नरेश की भार्या सत्यमती के पुत्र सात्यकी के रूप में रुद्रमाली का जन्म तथा अर्चामालिनी वैशालीपुरी के राजा चेटक की पुत्री ज्येष्ठा के रूप में जन्म । सात्यकी को वाग्दान, किन्तु विवाह से पूर्व श्रेणिक राजा के पुत्र अभयकुमार का आगमन । ज्येष्ठा को वंचना व चेलना का अपहरण । ज्येष्ठा की प्रव्रज्या। सात्यकी का भी तपग्रहण । उत्तर गोकर्ण पर्वत से पाकर राजगृह के उच्चग्रीव पर्वत पर निवास । वंदनार्थ प्रायिकाओं का आगमन । दृष्टि । ज्येष्ठा का सात्यकी की गुफा में प्रवेश । समागम । सात्यकी का आलोचना पूर्वक पुनः व्रत । ज्येष्ठा को गर्भ । आर्यिका द्वारा चेलना को समर्पण । पुत्र-जन्म । अभयकुमार द्वारा स्वयंभू गुफा में क्षेपण । चेलना द्वारा मानयन व स्वयंभू नामकरण । ज्येष्ठा की पुनः प्रव्रज्या । स्वयंभू के रुद्रस्वभाव से चेलना का रोष व यथार्थ कथन । स्वयंभू का उत्तर गोकर्ण में जाकर पिता से दिगम्बर दीक्षा लेना । रोहिणी आदि विद्यानों की सिद्धि । सिंह बनकर सबको भयोत्पादन । महिला के निमित्त से मरण की गुरु द्वारा भविष्यवाणी। कैलाशवास । विजयार्द्ध की दक्षिण श्रेणी के मेघनिबद्धपुर के विद्याधर नरेश कनकरथ के दो पुत्र देवदारु और विद्युज्जित। देवदारु राजा व विद्याजिह्व युवराज । देवदारु का युवराज द्वारा निर्वासन । कैलाश पर विद्यापुर बनाकर निवास व योजनगंधादि चार महादेवियाँ । योजनगंधा की गंधेल्ल और गंधमालिनी व अन्य देवियों की कुल पाठ पुत्रियां ।
जलक्रीड़ार्थ गमन । ८. कुमारियों को देखकर रुद्र का मोह । मदन का बाणवेधन । स्नान के समय
कुमारियों के वस्त्रों का अपहरण । माता-पिता की अनुमति लेकर वरण की
प्रतिज्ञा पर वस्त्र प्रदान । ६. पिता का स्वयंभू को संदेश कि यदि मेघनिबद्धपुर का राज्य दिला सको तो
कुमारियों से विवाह। स्वयंभू की स्वीकृति । देवदारु द्वारा गृहानयन व वृत्तान्त कथन । स्वयंभू की प्रतिज्ञा ।
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