Book Title: Kahakosu
Author(s): Shreechandmuni
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 609
________________ ४७४ ] सिरिचंदविरइयउ [ ४७. २. ८चिरभवे अणेण सक्के कहिउ तउ अंबिलु वड्डमाणु विहिउ । तेणेरिसरूवतेयसहिउ ईसाणे एहु हुउ सुरमहिउ । पुणु पुच्छिउ अवरु वि एरिसउ कि अत्थि कोइ दीवियदिसउ । १० इंदेण भणिउ अच्छइ सुमई नरलोन चउत्थउ चक्कवई । नामेण सणक्कुमारु सुहउ निरुवमगुणरूयतेयविहउ । घत्ता-ता तं वेन्नि असद्दहमाणा देवा जयजयंतनामाणा। करिपुरवरु बहे जोइयजाणा प्राया बंभण होवि सयाणा ।।२।। ५ पेसिय पडिहारें रायहरु दिट्ठउ परमेसरु चक्कहरु । अब्भंगियंगु मुक्काहरणु पर तइवि हु तिहुयणमणहरणु । आलोपवि माणमरट्टच्या विभियमण नायनिवास हुया। अहिणंदिउ तेहिं धराहिवइ भो साहु साहुजणजणियरइ । वनिउ तुहुँ सक्के जारिसउ अहिययरु निरुत्तउ तारिसउ । रूवें तेएण वि पहयतमु दीसइ न अन्नु जगि तुज्झ समु। इय भणिवि सवइयरु कहिवि घरु चल्लिय सुर पुच्छिवि चक्कहरु । निसुणेवि एउ गम्वियमइणा किं दिट्ठउ तुम्हहिँ भणिउ तिणा। थिर थाह जाम ण्हाएवि तणु भूसेप्पिणु दरिसमि रूवगुण । । घत्ता–ता हावि नेवत्थइँ लेप्पिणु रायसहामंडवि बइसेप्पिणु। सिंहासणि थिएण पाणंदें कोक्काविय ते देवनारदें ॥३॥ १० ताहिँ वि आवेवि तिलोयपिउ दळूण पयंपिउ धुणिवि सिरु तुह पुग्विल्लावत्थहे ललिउ ता तेण पसारिवि भुयजुयलु संजाउ निमित्तु तं पि तवहो पणविवि विणयंधरु मुणिपयहं कयछठ्ठववासु रायतणउ तो दिवसहो लग्गिवि छड्डि जरु सीसच्छिकुच्छिवेयण गरुया तउ तासु करतो पहयरउ रायाहिराउ अत्थाणि थिउ । संसारि न किंचि वि अत्थि थिरु । पुहईस तेउ रूउ वि ढलिउ । दिट्ठउ विच्छायउ वच्छयलु । ढोएप्पिणु रज्जु तणुब्भवहो । पडिगाहिउ भारु महव्वयहं । भुत्तउ हयदप्पुक्कोयणउ । खसु खासु सासु असु सत्तिहरु । अवर वि कुट्ठाइय जाय रुया । वोलीणउ धीरहो वरिससउ । १० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 607 608 609 610 611 612 613 614 615 616 617 618 619 620 621 622 623 624 625 626 627 628 629 630 631 632 633 634 635 636 637 638 639 640 641 642 643 644 645 646 647 648 649 650 651 652 653 654 655 656 657 658 659 660 661 662 663 664 665 666 667 668 669 670 671 672 673 674 675