Book Title: Kahakosu
Author(s): Shreechandmuni
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 624
________________ ४८. १६. ११ ] तो तउनिएवि उज्झिउ कुजोउ ते जे कोहेण महंतएण चरियहे गउ मुणेवि उवास एत संजउ भुंजेवि ग्राउ तादीवि पाय यासणेण अवरु विप्रायन्नाह श्रग्गिपुत्तु सत्ती पहउ कोवेण उरे कत्तियपुर रिजवणदहणग्गि तहे देवि वीरमइहे हुयाउ बंधुमईसिवसेणा पसिद्ध ससिह व सयंपह अवर लच्छि छवि एयउ देवाण वि पियाउ पुज्जेवि तिहुयणगुरु नीरयाउ कहकोसु घत्ता---- - उन्हयाले सिहिसरिस सिल अहियासेवि उप्पाप्रवि केवलु । सहँ पज्जोएँ सिद्धि गउ वसहसेणु जायउ जगमंगलु || १४ || १५ कि किज्जइकिंचि वि न वि सुहाइ विरहग्गितावतावियमणेण जं कि पि मज्झ मंदिरे पसत्थु जो कच्छिउ कच्छउ करइ तासु ता चवइ मंतिसामंतवग्गु जो पालइ तरुफलु तहो जे होइ निसुणेवि एउ सयवत्तवत्त घडं पि घडावइ दइउ बलिउ गुरुहार हे तहे दोहलउ जाउ की लेप्णुि तत्थ पसूय सुग्रण कित्तियइँ णिउ सुहिसोक्ख हेउ Jain Education International संजायउ सावउ सव्वु लोउ । मणि बुद्धदासवणिउत्तएण । सिल तावेवि मुक्क दुरासएण । जा सिलहे लग्गइ खवियपाउ । किउ अप्पकज्जु सन्नासणेण । T घत्ता - पेच्छह कम्मवियंभियउ तिहुयणजणमणजणियच्छेरउ । पुवइ वामोहियउ रूवु निएप्पिणु कित्तियकेरउ || १५ || १६ [ ४८६ दुद्धरवयसंयमनियमजुत्तु । पत्तउ समाहि रोहेडपुरे । होतउ नरिंदु नामेण श्रग्गि । छह धीयउ नवकिसलयभुयाउ । सिरिसेणा सिरिमइ गुणसमिद्ध । पुणु कित्तिय इंदीवरदलच्छि । नंदीसरम्मि उववासियाउ । आसीसहेउ तायहो गयाउ । सरीरेण वि जिउ जियराइ । पहुणा परिवार पउत्तु तेण । तं किं महु किं न हो पयत्थु । फलु होइ किं च अन्नहो विकासु । सुंदरु पहु तुम्हारउ समग्गु । एत्थत्थि न दीसइ दोसु कोइ । धीय वि धरणीसें किय कलत्त । सोनत्थि तेण जगे जो न छलिउ । सरवणवावीकीलाणुराउ । उनंदणु गुणवीसामु सुयण | हक्कारिउ सो तें कत्तिगेउ । For Private & Personal Use Only १० ५ १० ५ १० www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 622 623 624 625 626 627 628 629 630 631 632 633 634 635 636 637 638 639 640 641 642 643 644 645 646 647 648 649 650 651 652 653 654 655 656 657 658 659 660 661 662 663 664 665 666 667 668 669 670 671 672 673 674 675