Book Title: Kahakosu
Author(s): Shreechandmuni
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad
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५०६ ]
सिरिचंदविरइयउ
[ ५०. ५. ५
विसयाइय परभाव विसज्जहि
निन्विसयाइय निय पडिवज्जहि। ५ सुणेवि एउ निव्वेएँ लइयउ
संखेवेण जे सो पम्वइयउ । पायनेवि थोवाउ विसेसें
थिउ पाउग्गमरण संर्तासें । ता सेणिउ ससेन्नु तत्थायउ
भाइ निएवि साहु संजायउ । चंगउ कियउ पसंस करेप्पिणु
गउ अंचेवि पुज्जेवि पणवेप्पिणु । एत्यंतरे वंतरिम निहालिउ
वइरवसा ताण खब्भालिउ । १० झाणत्थहो सउलियण हवेप्पिणु
कड्ढिय लोयण सिरि वइसेप्पिणु । वड्डमुंडकीडियहिँ निरंतर
अक्खु व किउ विर्धवि देहतरु । घत्ता-पयणियपाणंतउ दुक्ख महंतउ तं सहिऊण समाहिजुउ ।
सो सोक्खनिरंतर पंचाणुत्तर सिद्धिविमाणहमिदु हुउ ॥ ५ ॥
धन्नो जमुणावंकें वाणहिँ
पूरिउ रिसि राएँ अपमाहिँ । तो वि धीरु धीरेण न चत्तउ
दुल्लहु सिद्धत्तणु संपत्तउ । बुव्वविदेहे दीर्व पहिलारण
पट्टणि वीयसोप सुहयारण। भत्थि असोयनामु धरणीवइ
सो सया वि किसिकम्मु करावइ । मुहइँ बइल्ल हँ दुक्खु न भावइ
धन्ने मलिज्जमाणे बंधावइ ।। राउलरंधणाइविहिलग्गही
थण बंधावइ नारीवग्गहो। जिह पिज्जति न कड्ढेवि बालहिँ किज्जइ कम्महाणि मरिसालहिँ । इय कालें जंतेणुप्पन्नउ
वयणरोउ तहो तेणातत्तउ । तहो उवएसिउ उसहो वेज्जें
भरण कराविउ तेण मणोज्जें । ता तहिँ गोउरे साहु पइट्ठउ
वीयसोयपुरवइणा दिट्ठउ । १० घत्ता-गुणमणिरयणायरु नामें सायरु दुत्तरभवसमुद्दतरणु ।
सयमेव खडाविउ भावें भाविउ दिन्नउ भोयणु सुहय रणु ॥ ६॥
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दाणपहावें बारहवरिसिउ कालु करेवि एत्थ विक्खायउ तणउ अरिट्ठसेणनरनाहहो धन्नकुमार भणेप्पिणु धन्नउ वणगउ दमिउ तेण दमदत्तउ बहुवीरिउ बहुबर्लण विराइउ
रोउ नरिंदहो तेण विणासिउ । आमलकंठे नयरि संजायउ । नंदिमइए महएविसणाहा । कोक्किउ राएँ रूवरवन्नउ । जियरिउ तं जियसत्तु पउत्तउ । अवरहिं न जिउ तेण अवराइउ ।
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