Book Title: Kahakosu
Author(s): Shreechandmuni
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad
View full book text
________________
५०. ६. ८ ] कहकोसु
[ ५०७ एयहिँ गुणनामहिँ सहिज्जइ
सव्वस्थ वि जणेण सलहिज्जइ । तासु सुबुद्धि नामु बहुजाणउ
जणणीभायरु मंतिपहाणउ ।। सो पर धन्नकुमार भणेप्पिणु
कोक्कइ नावरु नामु लएप्पिणु । एक्कहिँ वासरे तेण सरोसें
भणिउ मामु दूरुज्झियदोसें। १० किं महु अन्नइँ अस्थि न नामई
जेण तेहि वोल्लावहि नउ मई। घत्ता-ता पहयकुबुद्धे भणिउ सुबुद्धे किं कुमार मन्नहि असुहं ।
उत्तमकुले जायउ जइ विक्खायउ भन्नहि धन्नउ तेण तुहुँ ।। ७ ।।
अन्नइँ तुह न घडंति अणिदहँ
एयइँ गुणनामाइँ मुकिदह । दुद्दमइंदियदप्पनिवारा
तेण भणिय दमदत्त भडारा । दुसहपरीसहेहि न पराइय
तेण भणिज्जहिँ ते अवराइय । उच्चाइयचारित्तमहाभर
तेणाणंतविरिय फुडु जइवर । निज्जियरायदोसमोहाहिय
निज्जियसत्तु तेण ते साहिय । ५ न पुण गयाइदमणे दमदत्तउ
न सिलासंचालणि बहुसत्तउ । न रिउपराजएण अवराइउ
मणुयपहुत्तणेण न महाइउ । सूरउ जो इंदियरिउ भंजइ
पंडिउ जो मणु धम्म निउंजइ । सच्चवाइ वत्तारु भणिज्जइ
सदयभावु दायारु भणिज्जइ । एउ सुणेवि विमुक्ककसाएँ
वुत्तु हसेवि मंति जुवराएँ। १० लइ तिह करमि जेम अहिराम'
एयइँ नाम होंति महु नामइँ । भल्ल बोल्लिउ बच्छ सुबुद्धि
एम होउ पडिवन्नु सुबुद्धि । घत्ता-एत्थंतर अमरहिँ चालियचमरहिं सेविउ संसयतिमिरहरु ।
प्रायउ नेमीसरु देउ जिणेसरु भव्वसरोरुहदिवसयरु ॥ ८ ॥
तं प्रायनेवि मणि प्राणंदिउ सुर्णवि धम्मु नियजम्मु चिराणउ तिणमणिसत्तुमित्तसमचित्तउ पेच्छह पुव्वकम्मु गरुयारउ मह जइ लहइ कह व तो भुत्तउ वेयणा पुरिसहो किसकायहो पुच्छेवि वेज्जु वरोसह दिन्नउ हुउ सुहि सासयसिरिअणुराइउ ८. १ सहु ।
गंपिणु समवसरण जिणु वंदिउ । हुउ तित्थयरसीसु जुवराणउ । विहरइ संजमभारु वहंतउ । लहइ कहिमि नाहारु भडारउ । छद्दि होवि नीसरइ निरुत्तउ। सावत्तियमायण तत्थायहो । तेणोवद्द छद्दिहि छिन्नउ । सउरीपुरु विहरंतु पराइउ ।
५ ।।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Page Navigation
1 ... 640 641 642 643 644 645 646 647 648 649 650 651 652 653 654 655 656 657 658 659 660 661 662 663 664 665 666 667 668 669 670 671 672 673 674 675