Book Title: Kahakosu
Author(s): Shreechandmuni
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad

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Page 654
________________ ५१. १६. ८ ] कहकोसु [ ५१६ दुक्खेण पसूयण जुयलु जाउ घल्लाविउ पुरबहि जणियताउ । तं पालिउ विहिँ सत्थाहिवेहिँ परिणाविउ पउरधणाहिवेहिँ । भत्तारु तुहारउ अग्गिभूइ तुहुँ पुत्ति निरुत्तउ सोमभूइ । जो सोमसम्मु दोहँ वि जणेरु चउवेयवियक्खणु नाइ थेरु । महरिसिनिंदा निबद्धपाउ उज्जेणिहि वेस मरेवि जाउ। १० चिरनेहवसेण समेउ ताण इहभवजणणी अणोवमाए । धणदेउ तुहारउ पुत्ति कंतु अच्छइ वम्महसुहु अणुहवंतु । घत्ता-संपइ जायउ पुत्तु ताई तेण तत्थच्छइ । तं न विरूवउ जं न साहुदुगुंछ पयच्छइ ।। १४ ।। निसुणेवि एउ सुमरेवि जम्म निदेवि ताण चिरकि उ कुकम्मु । पुण रवि पणवेप्पिणु गुण निहाणु पुच्छिउ परमत्थे मुणिपहाणु । किं भयवं महु भासिउ सुणेवि गेण्हंति ताइँ जिणधम्म वे वि । मुणिवइणा बोल्लिउ नत्थि भंति वयणेण ताई तुह धम्म लेंति ।। ता सा परिपोसिय घरु मुएवि गय तहिँ तुरंति खुद्दिय हवेवि । ५ मंदिर वसंततिलयहे पइट्ठ पणमिय तण दिन्नासणे बइट्ठ । सो बालु वियक्खण गुणसमग्ग भणिऊण एउ संथ वह लग्ग । भत्तारभाइ भायरसुनो सि तुहुँ महु सावत्तउ पुत्तु होसि । हो हल्लरु हल्लरु महु वि भाय लइ तुझ वि मज्झ वि एक्क माय । घत्ता-खेलावंती बालु एउ भणंति सुणेप्पिणु । १० सा वसंततिलयाग पुच्छिय कर जोडेप्पिणु ।। १५ ।। कहि केरिसु भयवइ एत्थु एहु ता सा कमलाए हसेवि वृत्त । प्रायन्नहि जइ थिरु करवि चित्तु निसुणेवि एहु उवसंतियाहे तिह कहिउ सम्वु कमलाए ताहे पडिबुद्ध विरइवयणइँ सुणेवि चितइ हा मइँ पावा आसि गुणि बंभणो वि उज्झिउ मलेण किं महु महंतु तुज्झुवरि नेहु । साविण अम्हारी कह विचित्त । ता कहमि सव्वु जं जेम वित्त । धणदेवें समउ सुणंतियाहे । जिहु हुउ विराउ अणुसयवसाहे। हुय जाईसरि सा सिरु धुणेवि । उवहसिय साहु गुणरयणरासि । हुय वेस एत्थ हउँ तप्फलेण । ५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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