Book Title: Kahakosu
Author(s): Shreechandmuni
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad

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Page 669
________________ ५३४ ] सिरिचंदविरइयउ [ ५३. १०. ४पिसुणु पहा एहु खाएसइ निच्छउ पइँ कुमार मारेसइ । भुक्खिउ लइ हउँ घल्लहि पासमि उज्जुय उज्जि जमाणणे पेसमि। ५ तुहुँ निब्भ उ होएप्पिणु भवणहाँ जाहि मित्त हुए उग्गर्म तवणहो । एउ सुणेवि अबुज्झियसारें पेल्लिउ रिछु करेहिँ कुमार। निवडमाणु वडसाहहे लग्गउ दिव्वु पवंचिउ को वि वलग्गउ । सविउ रायसुउ उन्ने बा ते हं किं चि दु से मि त्ति मुवि ते । अवरु न कि पि चवंतहो एसइ रे हयास मइनासु हवेसइ । १० घत्ता--होसहि सुहि तहो दंसर्ण जणविभियकरहं । जो जाणेसइ एयहँ अत्थु दसक्खरहं ॥१०॥ एम भणेवि पयासियमायउ रिछु सवग्घ अदसणु जायउ । कुमरु वि भवणु विहाणइ पायउ चवइ न किचि बियंभियवायउ । उन्नेवाइ एउ पर बोल्लइ सब्वहँ कहिउ न कोइ वि मेल्लइ । कयखूणही कयाइ परदूसहु कुविउ पलासकूडगामहो पहु । दिन्न उ पेसणु जं न महीयले तं आणह जलु जंतउ नहयले। ५ नं तो सव्वु गामु विब्भाडमि कारागारे छुहेप्पिणु साडमि । गउ नरु रायाएसु भणेप्पिणु चिताविय गामीण सणेप्पिण् । वररुइणा विउसे धीरेप्पिण पेसिय ऊसहकुंभ भरेप्पिणु । विभिएण राएण नियच्छिय कहिउ उवाउ केण ते पुच्छिय'। देसंतरिउ एक्कु इह अच्छइ सो अम्हहँ उवएसु पयच्छइ । १० घत्ता--इय पुरिसेहिँ पयासिउ प्रायन्नेवि निउ । धुत्तु को वि सो निच्छउ अवधारेवि थिउ ।।११।। १२ . पेसह इह निवकव पउत्तउ अवरु वि जं जं भणिउ महीसें दियहिँ न रत्तिहिँ नउ गयणग्गें भासिउ नदें सो एत्थावउ ता वररुइणा किउ जिह वुत्तउ सुउ निवसुउ चवंतु पुन्वुत्तउ ११. १ पुत्तिय दित्तउ तहो पच्चुत्तरु जुत्तउ । तं तं किउ विप्पण विसेसें। चडिउ न कत्थइ नउ पयमग्गें । देसिउ महु अप्पाणउ दावउ । आगउ संझहे रहे लंबतउ। अत्थु वियार्णवि तेण पउत्तउ । ५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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