Book Title: Kahakosu
Author(s): Shreechandmuni
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad
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३६८ ] सिरिचंदविरहयउ
[ ४६. १२. ८तहिँ विज्जुदाढु सकलत्तु तेण
जोयवि चिरवइरविरुद्धएण । कहिं जाहि पाव पच्चारियउ
वडवाणले घल्लेवि मारियउ । नाणाविहदुक्खनिरंतरए
उप्पन्नु पढम नारउ नरए । देसूणउ पल्लाउसहो खए
हुउ वग्धु तोणिमंतम्मि नए । घत्ता-फणिदेउ वि तत्तो चुउ कुरुवंसुब्भवहो ।
संजायउ सुउ गयवरु विजयदत्तनिवहो ॥१२॥
१३
गुणमणिनिहि विजयादेविजाउ
गुरुहत्तु भणिउ कमणीयकाउ । बालही जे रज्जु तो देवि राउ
संजायउ जइ निज्जियकसाउ । एत्तहे वि ललियभासाविसेसे
धणकणयसमिद्धत लाडदेसे । सक्कु व सुरसयसेविउ महंतु
गिरि अत्थि पसिद्धउ तोणिमंतु । पुन्बुत्तरदिसिहि मणोहिराम
तहो अत्थि नयरि चंदउरि नाम । ५ जायववंसुब्भउ चंदकित्ति
तहिँ करइ रज्जु पहु चंदकित्ति । तहो गेहिणि वड्ढारियसिणेह
छणयंदसमाणण चंदलेह । जिणमइआइयउ अणोवमाण
संजायउ सत्त सुयाउ ताए। अभयमइ ताहँ सव्वहँ लहुय
तियरूवें रइ व समक्ख हूय । मग्गिय सा गुरुदत्तेण कन्न
केम वि न दिन्न पिउणा पसन्न । १० घत्ता–ता ससेन्नु सन्नज्झवि गंपिणु पुरिसहरि ।
अमरिसवसु करिपुरवइ थिउ रुंभेवि नयरि ॥१३॥
१४
एत्तहि ससिकित्ति वि अमरिसेण संजाउ महाहउ पडिय जोह चूरिय रहचामरछत्तदंड पच्छाइउ गयणंगणु सरेहि रहसुब्भडथड नच्चिय पहूय पवहाविय धय जंपाण जाण तहिँ तेहरा भीसणे भडवमाले माणिक्ककडयभूसियपसत्थु सो नहयले नेता नहयरासु निच्छु वि राउले पडिउ तेत्थु
निग्गउ सहुँ सेन्ने सरहसेण । लोहाविय हयवरगयवरोह । दोखंडिय सुहडहँ बाहुदंड । महि मंडिय सिरहिँ निरंतरेहि । धव पाविय रक्ख पिसाय भूय । ५ उट्ठिय सोणियनइ अप्पमाण । चक्केण छिन्न संगामकाले । कासु वि सामंतहो तणउ हत्थु । पासायहो उवरि मणोहरासु । अच्छइ सहुँ सहियहिँ कन्न जेत्थु । १०
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