Book Title: Kahakosu
Author(s): Shreechandmuni
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad
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४८६ ] सिरिचंदविरइयउ
[ ४८. ७. ८वे कीरु खडिय चंचू लेवि
रेहाउ देइ जइ जिणइ देवि । अह राउ एक्क तो लिहइ नाडु
ता कुविउ सत्तुजणदप्पसाडु । घत्ता--रड्ड परेज भणेवि हउ थप्पइ पडिउ महिहि कंपंतउ । १०
रायह उवरि कोवु करवि मुउ सुउ वणदेवत्तणु पत्तउ ॥७।।
एत्तहं अहियायलदलणवज्जु
नरवइ सिरिदत्त करंतु रज्जु । एक्कहिं दिणे चारु विचित्तदेहु
गयणयले विलीणु निएवि मेहु । जीविउ जोव्वणु धणु सयणु इट्ठ
वारिहरु व सयलु वि दिट्ठनठ्ठ । इय चिंतेवि पुत्तहो रज्जु देवि
संजाउ दियंबरु दिक्ख लेवि । वरधम्ममुणिंदसमीवे सव्वु
पढिऊण जिणागमु विगयगव्वु । ५ सव्वंसहु एयविहारि जाउ
विहरेप्पिणु पुणरवि तहिँ जे आउ । परमेसरु नयरहो बाहरम्मि
अब्भावयासे सिसिरहो भरम्मि । निसि पडिमाजोएँ [तहिँ थिरेण थिउ नियवि मुणीसरु] वेंतरेण । किउ पवणु पयंडु जलेण सित्तु
पर तो वि न धीरहो चलिउ चित्तु । घत्ता-झावि अप्पसहाउ हुउ केवलि कम्मकलंकविवज्जिउ । १०
विहरेवि महिमंडले सुइरु गउ अजरामरपुरु जगपुज्जिउ ।।८।।
तह उसहसेणु निक्कंपभाउ
प्रइउण्हायउ अइउण्हवाउ । अइउण्हु सिलायलु सहेवि साहु
गउ मोक्खा हुउ तेलोक्कनाहु । नामें पज्जोउ मणोहिराम
होतउ पुरम्मि उज्जेणिनामे । सो जियरिउ एक्कहिँ दिर्ण ससेन्नु
गय धरहुँ गयउ गण चडेवि रन्नु । मयमत्तु सो वि सच्छंदु जाउ
पडिखलिउ न केण वि कुविउ नाउ। ५ परियणो नियंतहो पुहइपालु
लेप्पिणु पइसरिउ वणंतरालु। उव्वरिउ रुक्खे लग्गेवि नरिंदु
गउ कहमि निरंकुसु तहिँ करिंदु । एत्तहे मुएवि वणु भयविमुक्कु
संपत्तु महीवइ गामु एक्कु । तत्थावडतडे वीसमइ जाम
एक्काइय पाणीहारि ताम । नवजोव्वण कन्न कुमारि बाल
सुहलक्खण मोरकलावबाल । घत्ता-सा जिणामगामवइजिणमइसुय सइँ जिणदत्ता नामें ।
निवि मणोहर पत्थिर्वण मग्गिय पाणिउ पियहँ सकामें ॥६॥
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