Book Title: Kahakosu
Author(s): Shreechandmuni
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad

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Page 606
________________ ४६. २५.२८ ] गुणगणालि सिद्धत्थनामु नहलग्गगेहे सेट्ठी समुद्दतो घरिणि ताहे सुय विरलवेय art forकाम सा दिन तासु एक्कहिँ दिणम्मि अच्छंतु संतु जुइविफुरंतु ि जिणसमयभत्तु बंधेवि पट्ट् विणयंधरा कहको धत्ता - कोसलविस उज्झहे सायरसेणु वणि । सरितासु नियंबिणि गुणलायन्नखणि ॥२४॥ २५ मुणि मोक्खपंथ कयपरमनिट्ठ निद्धूयराउ कम्मबंधु पोमावइ पुणु हुउ हउँ वरंगु पुणु विज्जुमालि सुहि चंडवे उ सिद्धत्थु पुत्तु जयवइ जाउ अच्छइ तहिँ एम भणंतु जाम बत्तीस मज्मणोहिराम त गभत्थिय हो जे सच्चसंधु सिद्ध हो पयपंकय नमेवि Jain Education International सुविज्जुमालि । जायउ हिरामु । पुरि रायगेहे । विजय सुहद्द | छणसमुह । निरुवमेय | सिरिकंत नाम । चिरभवपियासु । एत्थ सुकोसलु पहयपाउ । सहुँ माया परियणु पुत्त ताम । पिय सुप्पह नामें जणियकाम । काऊण तणूयहो पट्टबंधु । हुउ सवणु सुकोसलु घरु मुएवि । पासा हो सयलुवरिक्खणम्मि | forest देवकहा कहंतु । नहयले विज्जाहरजुयलु जंतु । आलोइऊण सिद्धत्थ सेट्ठि । जायउ जाईसरु भवविरतु । महु बालभावे उज्भियमरट्टु पव्वइउ पासे संयमधरासु । विहरंतु पुणागउ एहु एत्थु । गिरिधीरचित्तु चरियहे पइट्ठ । केणावि न धरिउ अलाहु जाउ । महु एहु भडारउ पुव्वबंधु । पुणु वणिउ सिरिहरु सोहणंगु । २० जाउ विज्जाहरु तरणितेउ । घत्ता - तेण जे प्रट्टज्झाणें रोसवसेण मुय । मोगिल्लाले जयवइ भीसण वग्धि हुय ॥२५॥ [ ४७१ For Private & Personal Use Only ५ १० १५ २५ www.jainelibrary.org

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