Book Title: Kahakosu
Author(s): Shreechandmuni
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad
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४४० ] सिरिचंदविरइयत
[ ४४. ४. ८गयसंखसत्तिसारंगधणू
अरि प्रायवत्तु असि फुरियतणू । रयणाइँ सत्त एयाइँ जसु
सिद्धाइँ जयत्तण भमिउ जसु । खयरामरा वि लद्धाइसया
जं मुक्कमाण सेवंति सया। १० साहिय तिखंड सनिहाण मही
उप्पाइय सयणहँ जेण दिही । तहो रज्जु करंतहो सुहसयइं
माणंतहो पुव्वपुन्नकयइं । एक्कहिँ दिणि तहिँ हयदुरियरिणु
विहरंतु पराइउ नेमि जिणु । खेयरणरसुरवरेहिँ सहिउ
उज्जिति परिट्ठिउ सव्वहिउ । घत्ता-तं निसुणेप्पिणु सयलु जणु कुलकुवलयचंदें ।
वंदणहत्ति गउ तुरिउ सहुँ विण्हुनरिंदें ॥४॥
गाहा-सव्वे वि समवसरणे काऊण पयाहिणं दुलइयंगा।
___ वंदिवि थुणिवि जिणं उवविट्ठा निययकोठम्मि । सायारु अणायारु वि सयलु
निसुणेप्पिणु धम्म विमुक्कमलु । तिहुयणरवि संसयतिमिरहरु
बलएवें पुच्छिउ तित्थयरु । परमेसर परमसिरीधरहो
एवंविह संपय केसवहो । केत्तडउ कालु सुहदाइणिया
आहासहि होसइ थाइणिया । परमेट्ठि भणइ छणभायणहिं
वोलीहिं बारहहायणहिं । हरिरज्जु सजायव जणियरइ
नासेसइ निच्छउ वारमइ। पुणु रोहिणिपुत्तें गुणनिलउ
पुच्छिउ पहु होसइ किह पलउ । जिणु भणइ हिरण्णनाहतणउ
रोहिणिहे भाउ पयणियपणउ। १० दीवायणु एहु पसंसियउ
मुणि संबुकुमार रोसियउ । मुउ होइवि अग्गिकुमारु सुरु
जालेसइ बल वारमइ पुरु । घत्ता-जरकुमारहत्थेण हउ पइँ परिहियछुरियण।
पावेसइ पंचत्तु हरि अायण विप्फुरियन ॥५।।
गाहा–अन्नोन्नपहारकयं मरणं वियाणए वियलगत्ताणं ।
मज्जेण जायवाणं सव्वाणं हिंसयंताणं'। निसुणेवि एउ संजाउ दुहु
पोहुल्लिउ बंधवजणही मुहु । एप्पिणु पणवेप्पिणु जिणु सयलु
णीसारिउ मज्जभंडु सयलु । ६. १ हिसएंतणं ।
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